सम्पादकीय

आंदोलनों में फंसा विकास

Rani Sahu
5 Jun 2023 6:55 PM GMT
आंदोलनों में फंसा विकास
x
By: divyahimachal
कहीं हिमाचल के विकास मॉडल में कमी रही या भविष्य के लिए विकास को बेरोजगार करने की मुहिम छिड़ी है। जहां कहीं विकास अपनी अधोसंरचना में नए रोजगार-नए अवसर की तलाश शुरू करता है, हिमाचल में विरोध की गलियां उभर आती हैं। खास तौर पर जहां ताल्लुक पर्यटन को संवारने का है, वहां भी विरोध के नाम पर विरोध उभर आता है। ताजातरीन उदाहरण बिजली महादेव रज्जु मार्ग का है जहां विरोध की खेप में, पर्यटन विकास की इच्छाशक्ति के खिलाफ समाज के एक वर्ग का रोष मुखालफत कर रहा है। कुल्लू घाटी के पर्यटन को नए आयाम पर ले जाने के लिए यह जरूरी रहा है कि कुछ अभिनव प्रयोग किए जाएं। इसी दृष्टि से पहले जब ऐसी ही महत्त्वाकांक्षी परियोजना, ‘स्की विलेज’ की परिकल्पना में अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशन की छलांग लगाना चाहती थी, जनता के स्वार्थी तत्वों ने देवी-देवताओं को भी अखाड़े पर लगा दिया। नतीजतन ‘स्की विलेज’ परियोजना ही ध्वस्त नहीं हुई, बल्कि हिमाचल में हाई एंड टूरिज्म की एक बड़ी संभावना भी नष्ट हो गई। इसी परिपे्रक्ष्य में बिजली महादेव रज्जु मार्ग परियोजना भी अपने साथ आर्थिक संभावनाओं का पहाड़ खोजना चाहती है, लेकिन फिर उसी देव संस्कृति के बहाने माहौल को उद्वेलित किया जा रहा है। हो सकता है परियोजना के वर्तमान स्वरूप से कुछ शिकायतें रही हों या कुछ पंचायतों के हित आड़े आ रहे हों, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि पूरी परिकल्पना को चौपट कर दिया जाए। प्रभावित समाज की शिकायतें व ख्वाहिशें अगर भविष्य के प्रति घंटी बजा रही हैं, तो उसका समाधान जायज है, लेकिन हो हल्ला इतना न हो कि भविष्य के बड़े लक्ष्य पीछे छूट जाएं। इसी प्रदेश में धूमल सरकार ने ऊना में विशेष आर्थिक जोन के तहत हवाई अड्डे की एक बड़ी परिकल्पना तैयार की थी, लेकिन गैर वाजिब आंदोलनों ने आर्थिकी के इस अवसर को जमींदोज कर दिया। हिमाचल का विकास अब एक बड़े कैनवास पर ही उकेरा जा सकता है, इसलिए परिवर्तन होंगे। भविष्य की सही दिशा और रफ्तार पकडऩे केे लिए प्रदेश को अपने विकास की दिशाएं बदलनी पड़ेंगी।
ये दिशाएं मेगा परियोजनाओं से ही सामने आएंगी, जो अगले सौ सालों की तरक्की को परिभाषित करेंगी। मसलन कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार अगले सौ सालों की तरक्की से मुखातिब होगा, तो निवेश की नई संभावनाएं भी सामने आएंगी। कमोबेश ऐसी ही परिस्थिति में विकसित हो रही फोरलेन परियोजनाएं भी आने वाले कल के आर्थिक अवसर बदल देंगी। स्की विलेज से बिजली महादेव रोप-वे तक पहुंचते-पहुंचते यह तो साबित हो गया कि हिमाचल में एक वर्ग ऐसा भी है जो विकास की शक्ति और संभावना को क्षीण कर सकता है। सबसे गैरजरूरी व गंभीर प्रश्र यह है कि परियोजना या विकास विरोधी राजनीति देव परंपरा को बंधक बना रही है, जबकि यथार्थवादी दृष्टिकोण से देखें तो आज का इनसान परंपराओं और संस्कृति के विरोध में कुछ भी करने को तैयार है, बशर्ते भौतिक उपलब्धियां एक तरफा हो जाएं। इसी कुल्लू घाटी में नशे के सौदागर पाप की नगरियां बसा रहे हैं, तो समाज का खून नहीं खौलता। सारे पहाड़ को जेसीबी खोद दे कोई फर्क नहीं पड़ता। देखते ही देखते मनाली ने अपने अस्तित्व में बेहूदा कंक्रीट भर लिया, लेकिन यह हमें नजर नहीं आता। हम सिर्फ यह देखते हैं कि व्यवस्थित ढंग से अगली सदी संबोधित न हो। हमारे प्रश्र किसी भी बड़े संकल्प को धराशायी करने की हिम्मत करते हैं, लेकिन सुधार के लिए तैयार नहीं। अगर आज ही कहा जाए कि बिजली महादेव के आसपास दस बीस वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में साडा के तहत ही नवनिर्माण होगा, तो बिजलियां गिर जाएंगी।
अगर कहा जाए कि पर्यावरण बचाने के लिए सफाई या ग्रीन टैक्स लगा दिया जाए, तो यही समाज आनाकानी में लोटने लगेगा। समाज को आधुनिक बस स्टैंड चाहिए, नए दफ्तर, नई इमारतें और नई-नई परियोजनाएं चाहिएं, लेकिन विरोध के लिए वह कभी पेड़ न काटने की दुहाई देगा तो कभी इसे देव इच्छा के विरुद्ध बता देगा। ऐसे में बिजली महादेव परियोजना का विरोध, अगली सदी के हिमाचल का विरोध है। यह भावी पीढिय़ों की आत्मनिर्भरता का विरोध है। जिन्हें लगता है कि रज्जु मार्ग आने से बिजली महादेव की यात्रा या क्षेत्रीय पवित्रता भंग हो जाएगी, वह जरा यह सोच कर बताएं कि कुल्लू घाटी के कितने धार्मिक स्थलों की जमीन पर अनधिकृत कब्जे हुए हैं। प्रदेश के कमोबेश हर धार्मिक स्थल, नदियों, नालों, कूहलों और प्राचीन धरोहरों के आसपास की जमीन पर अवैध कब्जों में इसी जनता को देखा जाए, तो पता चल जाएगा कि भगवान के नाम पर दोगलापन कितना गहरा व असंवेदनशील है। सरकार के सामने यह मात्र एक परियोजना का सवाल नहीं होना चाहिए, बल्कि अगली सदी के विकास और संरक्षण के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ होते हुए नए संकल्पों की इच्छाशक्ति का परिचायक होगा। देखना यह होगा कि कुल्लू एक बार फिर स्की विलेज खोने के बाद बिजली महादेव रोप-वे खो देगा या विकास के प्रति कहीं जागृत समाज भी सामने आएगा।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story