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इस कारण विकास पर असर पड़ना स्वाभाविक था.
गृह मंत्री अमित शाह ने विश्वास दिलाया है कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को 2025 तक रेल, सड़क और वायु मार्ग से जोड़ दिया जायेगा. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस क्षेत्र में हाल के वर्षों में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आयी है तथा शांति एवं विकास का नया दौर चल रहा है. दशकों तक पूर्वोत्तर के राज्य हिंसा, उग्रवाद और अलगाववाद की चपेट में रहे थे. इस कारण विकास पर असर पड़ना स्वाभाविक था.
लंबे समय तक क्षेत्रीय विकास को लेकर तथा पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने के लिए सुविचारित योजनाओं का भी अभाव रहा. अब स्थिति में तीव्र गति से सुधार हुआ है. इसका एक संकेत हाल में संपन्न हुए तीन राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव से मिलता है. कुछ मामूली घटनाओं को छोड़ दें, तो चुनावी प्रक्रिया बिना किसी व्यवधान के साथ पूरी हुई.
वर्ष 2014 के आंकड़ों से तुलना करें, तो तब से अब तक हिंसक घटनाओं में 67 प्रतिशत, सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 60 प्रतिशत तथा नागरिकों की मौत में 83 प्रतिशत की कमी आयी है. पूर्वोत्तर के बड़े हिस्से से विशेष सैन्य कानून को भी हटाया गया है. विद्रोही समूहों के आठ हजार से अधिक सदस्यों ने बीते नौ साल में आत्मसमर्पण भी किया है. अमित शाह ने फिर से आह्वान किया है कि विद्रोही हथियार छोड़ें और मुख्यधारा में शामिल होकर विकास के सहभागी बनें.
इन उपलब्धियों से सरकार में क्षेत्र की जनता का भरोसा भी बढ़ा है. पूर्वोत्तर के विकास के लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता इस तथ्य से रेखांकित होती है कि राजधानियों को जोड़ने की परियोजनाओं का अनुमानित व्यय 1.76 लाख करोड़ रुपये है. हालिया वर्षों में सड़क निर्माण की गति दुगुनी हो चुकी है. इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से पूर्वोत्तर को भी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का अधिक लाभ मिलने लगा है तथा वहां की संभावनाओं को साकार करने का भी आधार तैयार हो रहा है.
प्रधानमंत्री विकास पहल के तहत सौ फीसदी केंद्रीय आवंटन से चलने वाली कई परियोजनाओं को शुरू किया गया है. ये कार्य निर्धारित अवधि में पूरे हो सकें, इसके लिए निगरानी की विशेष व्यवस्था भी की गयी है. इसीलिए यातायात इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े हिस्से के आगामी दो वर्षों में पूरा होने की उम्मीद की जा सकती है. सड़क, रेल और वायु मार्गों के विकास से आर्थिक गतिविधियों और निवेश में गति आने की आशा है. साथ ही, पूर्वोत्तर में पर्यटन के विस्तार की असीम संभावनाएं वास्तविकता बन सकती हैं. दक्षिण एशिया में बांग्लादेश और नेपाल के साथ पूर्वी एशिया के अनेक देशों से भी पूर्वोत्तर के रास्ते व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी.
सोर्स: prabhatkhabar
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Triveni
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