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- डेंगू के पांव
Written by जनसत्ता; पिछले करीब ढाई साल से देश और दुनिया ने जिस तरह कोरोना विषाणु के संक्रमण से उपजी स्थिति का सामना किया, उसके दंश का एहसास लगभग सबको है। इसकी मार के असर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दूसरी बीमारियां भी लोगों के बीच थीं, लेकिन उनकी गंभीरता दर्ज नहीं हो पा रही थी। मसलन, कोरोना के संक्रमण के दौर में भी कई लोग डेंगू का शिकार हो रहे थे और आज भी यह अपने पांव फैला रहा है। यों इसके मामले समूचे देश में देखे जाते हैं और अमूमन सभी राज्यों में डेंगू के मामले चिंता की वजह बनते हैं।
लेकिन दिल्ली में आमतौर पर ज्यादा लोग इसकी चपेट में आते हैं। हाल ही में डेंगू दिवस के मौके पर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चिकित्सकों ने यह बताया कि पहले के मुकाबले इस साल अब तक डेंगू के पांच गुना से ज्यादा मामले आ चुके हैं। यह हालत तब है जब अभी बारिश के मौसम की शुरुआत नहीं हुई है। यह किसी से छिपा नहीं है कि बरसात और इसके बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ने के बाद डेंगू ने पिछले कुछ सालों के दौरान कैसा कहर ढाया है।
मुश्किल यह है कि डेंगू के दंश और इसकी जद में आने को लेकर चिकित्सा जगत की ओर से अक्सर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, मच्छरों की रोकथाम के लिए जरूरी उपाय करने को कहा जाता है। लेकिन न तो सरकार को समय पर ठोस कदम उठाना जरूरी लगता है, न आम लोग अपनी ओर से साफ-सफाई और पानी का जमाव न होने देने को लेकर पर्याप्त सावधानी बरत पाते हैं। जबकि डेंगू का दंश जानलेवा साबित हो सकता है। हालांकि इसकी रोकथाम के प्रति सजगता इससे बचा भी सकती है।
खासतौर पर घरों और आसपास केवल साफ पानी का जमाव नहीं होने देने के प्रति लोग सजग रहें तो डेंगू के फैलाव और इस तरह इसके दंश को कमजोर किया जा सकता है। मगर हैरानी की बात यह है कि इसके खतरों के स्तर के बारे में जानने-समझने के बाद भी लोग कई बार छोटी-मोटी लापरवाहियां बरतते हैं, जिसकी वजह से डेंगू को अपने पांव फैलाने का मौका मिल जाता है। यह बेवजह नहीं है कि वक्त के साथ जहां डेंगू का जोर थमना चाहिए था, वहीं आज इसके मामलों में पांच गुना तक बढ़ोतरी देखी जा रही है।
जाहिर है, स्वच्छता या साफ-सफाई सुनिश्चित करने के मकसद से चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद आज भी डेंगू के लिए जिम्मेदार मादा एडीज इजिप्टी मच्छरों की रोकथाम संभव नहीं हो पाई है। जबकि यह तथ्य अब आम लोग भी समझने लगे हैं कि आमतौर पर किसी भी जगह साफ पानी का जमाव ही इस मच्छर के पनपने और फैलने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
एक मुश्किल यह भी है कि अक्सर डेंगू की चपेट में आने के बावजूद लोग इसे आम मौसमी बुखार मान कर इसके सही इलाज में ढिलाई बरतते हैं और बाद में प्लेटलेट गिरने के साथ-साथ मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ने लगती है। इस वजह से भी कई लोगों की जान पर बन आती है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आने वाले महीनों में गरमी के बाद जब बरसात के मौसम की शुरुआत होगी, तब डेंगू का खतरा और गहरा सकता है। वक्त रहते एक ओर लोगों को अपनी ओर से डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की रोकथाम को लेकर सजग रहने की जरूरत है, दूसरी ओर सरकार को भी आम आबादी के बीच निरीक्षण के साथ इसके फैलाव को रोकने के लिए हर तरह के उपाय करने चाहिए।