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कोरोना वायरस का जो नया रूप दुनिया भर में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को चिंतित किए हुए है, वह है डेल्टा वैरिएंट। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी वायरस का चिंताजनक रूप कहा है। वैसे तो यह कई देशों में मौजूदगी दर्ज करा चुका है, लेकिन ब्रिटेन तो जैसे इसकी गिरफ्त में आ चुका है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) के आंकड़ों के मुताबिक, वहां इकट्ठा किए जा रहे सैंपल्स में 61 फीसदी मामले डेल्टा वैरिएंट के ही हैं। इसका मतलब यह है कि वहां पिछले साल गदर मचा देने वाले अल्फा वैरिएंट से भी ज्यादा मजबूत स्थिति में डेल्टा वैरिएंट आ गया है। ध्यान रहे किसी वैरिएंट को चिंताजनक श्रेणी में तब डाला जाता है, जब उसकी बढ़ी हुई संक्रामक क्षमता और मरीज को अस्पताल ले जाने की बढ़ी हुई जरूरत के सबूत उपलब्ध हों। इन दोनों ही मोर्चों पर इसकी मजबूती इसे न केवल इंग्लैंड जैसे देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के स्तर पर खतरनाक बनाती है। गौर करने की बात यह भी है कि मामला डेल्टा वैरिएंट तक ही सीमित नहीं रहा। इसका और परिष्कृत रूप भी आ गया है जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है।