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सम्पादकीय
Delimitation in Jammu Kashmir : परिसीमन से जम्मू में बीजेपी की उम्मीदें बढ़ीं लेकिन घाटी अब भी दूर की कौड़ी
Gulabi Jagat
7 May 2022 6:38 AM GMT
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केंद्र ने परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू और कश्मीर में चुनाव कराने का वादा किया है, लेकिन
जहांगीर अली.
केंद्र ने परिसीमन (Jammu and Kashmir Delimitation) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू और कश्मीर में चुनाव (Jammu and Kashmir Election) कराने का वादा किया है. लेकिन यह सवाल बहुत संदेह और अनिश्चितता पैदा करता है कि भारत का चुनाव आयोग (Election Commission) कब मतदान की तारीखों की घोषणा करेगा और खास कर कश्मीर घाटी में. हालांकि आयोग की नई चुनावी मानचित्र को देखकर लगता है कि अपने दम पर देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में सत्ता पर काबिज होने की संभावना काफी बढ़ गई है. इस नए मानचित्र में सत्ता का केन्द्र भगवा पार्टी के गढ़ जम्मू की ओर झुका दिया गया है. लेकिन फिर भी कुछ कमियां रह गईं हैं जिन पर बीजेपी के चुनाव प्रबंधकों को ध्यान देने की जरूरत है.
अगर भगवा पार्टी जम्मू की सभी 43 सीटों पर जीत हासिल कर भी लेती है तो उसे अपने दम पर सत्ता में आने के लिए तीन और सीटों की आवश्यकता होगी. और इन तीन सीट के लिए उसे कश्मीर घाटी में अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा. दिलचस्प बात यह है कि पार्टी संभवतया जम्मू में क्लीन स्वीप न भी कर सके क्योंकि हाल के दिनों में कश्मीर के नेता खासकर चिनाब और पीर पंजाल क्षेत्रों में मतदाताओं को रिझाने के लिए कतार में खड़े हो गए हैं.
श्रीनगर में चुनावी नतीजे बदल सकता है परिसीमन
43 सीटों से अगर कम सीट बीजेपी को मिलती हैं तो उसे कश्मीर घाटी में सहयोगियों को तलाश करने की आवश्यकता होगी. पार्टी अब कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए सीटें आरक्षित करने की परिसीमन आयोग की सिफारिश पर केंद्र के निर्णय का इंतजार करेगी. यह स्पष्ट नहीं है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नामांकित सीटें प्रवासियों के लिए आरक्षित होंगी या वे सीटें जिन्हें परिसीमन आयोग ने गुरुवार को अधिसूचित किया था. अफवाहों के मुताबिक कश्मीर में कम से कम एक सीट कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित की जा सकती है. कश्मीर में रहने वाले एक प्रमुख कश्मीरी पंडित का नाम पहले से ही चर्चा में है. अगर ये मान लिया जाए कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रवासियों के लिए दो सीटें केन्द्र आरक्षित करता है, तो बीजेपी को उम्मीद है कि वो दोनों ही सीट हासिल कर सकती है. बीजेपी ने लगातार ही कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर से विस्थापित हिंदू आबादी के हक में आवाज बुलंद की है.
ये दो सीट भगवा पार्टी को विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 46 सीटों के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेंगी. भगवा पार्टी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में से एक पर भरोसा कर रही है. इस पार्टी ने उत्तरी कश्मीर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत की है, जिसे परिसीमन आयोग द्वारा कश्मीर घाटी में बनाई गई एकमात्र अतिरिक्त सीट आवंटित की गई थी. पार्टी को यह भी उम्मीद है कि कुछ दूसरी क्षेत्रीय दल नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के वोट शेयर में सेंध लगा सकती है. अगर ये क्षेत्रीय दल कामयाब हुए तो कश्मीर के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों, विशेष रूप से श्रीनगर में चुनावी नतीजे बदल सकता है.
टीवी 9 के साथ कश्मीर स्थित राजनीतिक दलों और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों ने ऑफ रिकॉर्ड बात करते हुए कहा कि जब तक बीजेपी का चुनावी गणित आरामदायक बहुमत के करीब नहीं पहुंचता है तब तक विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की संभावना नजर नहीं आती है. श्रीनगर के एक पर्यवेक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "सरकार कश्मीर में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति या चल रहे कृषि और बागवानी मौसम का हवाला देकर चुनाव में देरी को उचित ठहरा सकती है." जम्मू-कश्मीर में सियासी हवा जिस भी दिशा में बह रही हो लेकिन इतना तय है कि देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने की संभावना दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है. सत्ता के रास्ते में एकमात्र बाधा गुपकक गठबंधन है. और ये इस बात पर निर्भर करेगा कि गुपकर गठबंधन के घटक दल इस नई राजनीतिक वास्तविकता का सामना किस तरह से करते हैं.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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