- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- फिर न आए दिल्ली पर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगलवार को एक तरफ राजपथ पर राष्ट्र के गौरव का प्रदर्शन हो रहा था, तो दूसरी ओर दिल्ली के कुछ इलाकों में कानून-व्यवस्था को निशाना बनाया जा रहा था। यह एक शोचनीय स्थिति थी। ऐसा इसलिए हो रहा था, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर करीब 60 दिनों से जमे किसानों को 26 जनवरी की सुबह 12 बजे से ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दी गई थी, मगर उनका वह मार्च 9.30 बजे ही शुरू हो गया था। दिल्ली पुलिस पर काम का बोझ पहले से अधिक है, फिर 26 जनवरी को वह विशेष तनाव में रहती है। राजपथ पर निकलने वाली परेड और झांकियों के लिए रूट की व्यवस्था करने के साथ-साथ उसे आतंकवादी हमले या अन्य व्यवधानों से निपटने के लिए खास जतन करने पड़ते हें।
ऐसे में, भीड़ द्वारा पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने और लाल किला पर केसरिया झंडा फहराने की तस्वीरें ऐसी हैं, जिनको आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा। महज 20 दिन पहले ही हमने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में लोकतंत्र पर हमला होते देखा था। उस दिन बड़ी संख्या में उपद्रवी अमेरिकी संसद अर्थात कैपिटल हिल में दाखिल हो गए थे, जिससे चुने गए जन-प्रतिनिधियों की जान सांसत में आ गई थी। उस घटना में चार लोगों की मौत हुई और कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। वह अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास में काले दिन के रूप में देखा गया। ठीक यही धब्बा 26 जनवरी को हमारे गणतंत्र पर भी लग गया है।