सम्पादकीय

दिल्ली में बाढ़ का तांडव

Rani Sahu
14 July 2023 6:49 PM GMT
दिल्ली में बाढ़ का तांडव
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By: divyahimachal
महात्मा गांधी की समाधि ‘राजघाट’ में बाढ़ का पानी है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की समाधि ‘विजय घाट’ में भी पानी-पानी है। ऐतिहासिक लाल किला अंदर और बाहर बाढग़्रस्त है। करीब 2-4 फुट पानी है। अंतरराज्यीय बस अड्डे में इतना पानी भर गया था कि उसे फिलहाल बंद करना पड़ा। राजधानी दिल्ली की ‘लाइफ लाइन’ रिंग रोड पर भी घुटनों तक पानी है। सबसे बड़े श्मशान घाट ‘निगम बोध घाट’ को बाढ़ के कारण बंद करना पड़ा। सारांश यह है कि यमुना में पानी इस खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है कि अब भी बाढ़ के हालात हैं। दिल्ली में अभूतपूर्व, अकल्पनीय 268 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है, जो हरियाणा, पंजाब जैसे मैदानी राज्यों से करीब 97 फीसदी ज्यादा है। हरियाणा में स्थित हथिनी कुंड बैराज से सामान्य दिनों में औसतन 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, लेकिन अत्यधिक बारिश के कारण आजकल 1.5 लाख से 3 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जा रहा है।
जाहिर है कि वह पानी यमुना में ही आएगा और जलस्तर अधिक होने के कारण बाढ़ के हालात बनेंगे। अभी तक यमुना किनारे और आसपास बसे 41,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। उन्हें राहत-शिविरों में रखा गया है अथवा वे मेट्रो टे्रन के पुलों के नीचे, खुले में, गुजर-बसर करने को विवश हैं। यदि बाढ़ की स्थिति व्यापक होती है, तो राजधानी के एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होंगे। दिल्ली की एक और ‘लाइफ लाइन’ माने जाने वाले 3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को भी बंद करना पड़ा है, नतीजतन राजधानी में पानी के संकट की आशंका बढ़ गई है। 1978 में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था। तब 18 लोग मारे गए थे और लाखों प्रभावित हुए थे। वह राजधानी दिल्ली में भी तांगे और बैलगाड़ी का युग था। मारुति कार भी भारत में नहीं आई थी। तब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन था। जब 2013 में भी बाढ़ आई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनकी सरकार पर दोष मढ़े गए थे।
केजरीवाल ने नई-नई राजनीति शुरू की थी और दिल्ली को बाढ़ से बचाने के उपाय बताए थे। दिल्ली में केजरीवाल ही लगातार सत्ता में हैं। अब उन्होंने ‘पीडि़त होने का पत्ता’ खेलना शुरू किया है। जिस कॉलोनी में मुख्यमंत्री की कोठी है, वह ही बाढग़्रस्त है, तो शेष राजधानी का क्या होगा? वहां कई अतिविशिष्ट लोग रहते हैं, सरकारी दफ्तर भी हैं और पानी घुटनों से भी ऊपर है। वैश्विक मीडिया में ऐसे फोटो छापे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर खूब बदनामी हो रही है। तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत क्या जवाब देगा? केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री को निर्देश दें कि बैराज से अधिक पानी न छोड़ा जाए। केजरीवाल आईआईटी के इंजीनियर हैं, लेकिन उन्हें इतनी भी जानकारी नहीं है कि हथिनी कुंड बैराज में जल का भंडारण नहीं किया जा सकता। वहां से पानी इधर-उधर की दिशा में छोडऩा ही पड़ता है। बहरहाल दिल्ली में बाढ़ के लिए केजरीवाल ही ‘खलनायक’ नहीं हैं, बल्कि जिन नेताओं, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और अफसरों के हाथ में यमुना का शासन रहा है, उन्होंने ही दिल्ली को डुबोने का काम किया है। यमुना किनारे ही ‘अक्षरधाम’ बना है, यमुना किनारे ही राष्ट्रमंडल खेल गांव बसा है और यमुना के आधार पर ही मेट्रो रेल का रखरखाव मुख्यालय बना है। ऐसे तमाम निर्माण ‘मौत के मुंह पर’ किए गए हैं। इन निर्माणों को ‘अवैध स्वीकृति’ दी गई है और करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया जाता रहा है। यहां बहुमंजिला इमारतें भी हैं और झुग्गी-झोपडिय़ां भी हैं। यमुना में जलस्तर बढ़ता है, तो लोगों को कहीं और जाने को कहा जाता है। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई, जो बाढ़ को नियंत्रित कर सके। हम डे्रनेज की बात करते रहे हैं, वह अव्यवस्था बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरों में भी है। देश में चौतरफा बदलाव हो चुका है, हम चांद पर उतरने की कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन राजधानी में ही बाढ़ नियंत्रण में नहीं है, इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी? बाद में मिली खबरों के अनुसार यमुना का जलस्तर अब कम हो रहा है, लेकिन दिल्ली पर संकट पहले की तरह बरकरार है।
Rani Sahu

Rani Sahu

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