सम्पादकीय

सुरक्षा को धता

Subhi
29 Jun 2021 3:28 AM GMT
सुरक्षा को धता
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जम्मू स्थित वायुसेना के अड्डे पर आतंकी हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।

जम्मू स्थित वायुसेना के अड्डे पर आतंकी हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। शनिवार आधी रात के बाद वायु सेना के ठिकाने पर ड्रोन के जरिए बम गिराए गए। यह पहला मौका है जब आतंकी हमले में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है। यह हमला गंभीर चिंता का विषय इसलिए है कि किसी सैन्य अड्डे जैसे संवेदनशील ठिकाने को ड्रोन के जरिए निशाना बनाया गया। इससे यह भी स्पष्ट हो चला है कि आतंकी अब घात लगा कर हमले करने के बजाय अत्याधुनिक तकनीक काम में ले रहे हैं। कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए सेना ने जिस तरह से अभियान छेड़ रखा है, उससे आतंकियों के हौसले पस्त पड़े हैं। इसलिए हमले करने के लिए अब वे नए-नए तरीके आजमा रहे हैं। कहने को जम्मू-कश्मीर और इससे लगी पाकिस्तान सीमा पर पर कड़ी चौकसी है। चाकचौबंद सुरक्षा के दावे हैं। सेना, अर्धसैनिक बल, स्थानीय पुलिस सहित सारे बल दिन-रात कड़ी सुरक्षा में लगे हैं। इतना सब कुछ होते हुए भी अगर ऐसे हमले हो जाएं तो सुरक्षा के मसले पर सवाल तो खड़े होंगे ही।

जो भी हो, ड्रोन हमले से यह आशंका गहराने लगी है कि ऐसे हमले कहीं आए दिन की घटना न बनने लगें। सैन्य ठिकानों की सुरक्षा व्यवस्था कोई मामूली नहीं होती। ऐसे में कहीं से ड्रोन आने की भनक भी न लग पाना हैरान करने वाली बात है। अभी तो यही पता नहीं चल सका है कि ड्रोन आए कहां से और हमला करके कहां लौट गए। हालांकि वायुसेना ने अभी तक इसे आतंकी हमला नहीं कहा है। जबकि जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने इसे आतंकी हमला बताया है। फिलहाल मुद्दा आतंकी हमला होने या नहीं होने का नहीं है, बल्कि गंभीर सवाल यह है कि ड्रोन वायु सेना अड्डे पर हमला कैसे कर गए। इससे पता चलता है कि वायु सेना के अड्डे पर सुरक्षा संबंधी जो बंदोबस्त होने चाहिए, वे नहीं हैं। दुश्मन को हमारी नस-नस पता है। बताया जा रहा है कि सीमा पर लगे रडार ड्रोन का पता नहीं लगा पाते। इसलिए ऐसी रडार प्रणाली लगानी होगी जो चिड़िया के आकार वाले ड्रोन का भी पता लगा ले। देश के कई वायु सेना अड्डों पर एंटी-ड्रोन प्रणाली लगी है। लेकिन जम्मू के इस वायु सेना अड्डे पर यह नहीं है। होती तो शायद यह हमला न हो पाता।

यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब हाल में कश्मीर के मुद्दे पर दिल्ली में प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक की है। इसमें कोई संदेह नहीं कि घाटी में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इसमें भी कोई शक नहीं कि ड्रोन हमले जैसी करतूत किसी आतंकी संगठन की रही होगी, जिसे पड़ोसी देश से हर तरह की मदद मिल रही होगी। हालांकि अभी यह जांच का विषय है कि ड्रोन पाकिस्तान की तरफ से आया या फिर कश्मीर में से ही किसी सक्रिय आतंकी संगठन ने इस हमले को अंजाम दिया। गौरतलब कि भारत उरी, पठानकोट जैसे वायु सेना के अड्डों पर हमलों से लेकर पुलवामा जैसे आतंकी हमले झेल चुका है। लेकिन जिसने भी और जैसे भी यह हमला किया या करवाया, उसने देश की सुरक्षा को आईना दिखाने की कोशिश की है। साथ ही यह चुनौती पेश की है कि भारत चाहे कितनी कड़ी सुरक्षा कर ले, लेकिन आतंकी हमले जारी रहेंगे। इसलिए भारत को अब नए सिरे से जवाबी रणनीति बनाने और सैन्य ठिकानों की सुरक्षा पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है।


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