- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- संकट भीतर तक
गांवों में महामारी से हालात बिगड़ रहे हैं। शहरों के बाद गांवों में संक्रमण फैलना ज्यादा चिंता की बात है। ग्रामीण इलाकों में देश की दो तिहाई आबादी रहती है। यह देश का वह इलाका है जहां बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लगभग कुछ नहीं है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा किनारे जिस बड़ी संख्या में दफन और बहते शव मिले, उससे पता चलता है कि गांवों में महामारी से किस तरह लोग मर रहे हैं। अगर ये मौतें महामारी से नहीं हो रहीं तो सवाल है फिर कैसे इतने लोग मरे? पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ। महामारी से निपटने में सरकारों की लाचारी उजागर हो चुकी है। वरना इलाहाबाद हाई कोर्ट को यह कहने को क्यों मजबूर होना पड़ता कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं! जाहिर है, बड़ी अदालतों की हालात पर नजर है। सरकारों के कामकाज की संस्कृति और आमजन के प्रति लापरवाह रवैए की हकीकत भी मालूम है। ऐसा सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बिहार, गुजरात, मध्यप्रेदश आदि राज्यों में कमोबेश एक जैसे हालात हैं। बहरहाल कुछ भी हो, अब केंद्र और राज्यों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों में संक्रमण को फैलने से रोकने की है।