- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- गिरावट की मुद्रा
Written by जनसत्ता: यह अप्रत्याशित तो नहीं, मगर चिंतित करने वाली खबर जरूर है कि पिछले दिनों भारतीय मुद्रा यानी रुपया अपने निम्नतम स्तर पर आ गया। एक डालर के मुकाबले उसकी कीमत 80.05 रुपए आंकी गई। जाहिर है, मुद्रा के मूल्य में गिरावट का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और पहले से ही असह्य महंगाई से जूझ रहे आम भारतीय के लिए यह अच्छी खबर नहीं है।
हालांकि, सत्ता में बैठे लोग अब भी कह रहे हैं कि अन्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपए की स्थिति बहुत बेहतर है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था बुनियादी तौर पर मजबूत है। चिंता की बात यह है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद लोकसभा में यह माना है कि दिसंबर 2014 से अब तक देश की मुद्रा 25 प्रतिशत तक गिर चुकी है। ऐसे में, महंगाई से फौरन छुटकारा मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि इस गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और विदेशी मुद्रा भंडार भी प्रभावित होता है।
ऐसे में, भारतीय रिजर्व बैंक के लिए भी ब्याज दरों को लंबे समय तक नीचे रखना कठिन हो जाएगा। गौर कीजिये, पिछले सात महीनों में ही रुपए में करीब सात फीसद की गिरावट आ चुकी है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए व्यापक रूप से आयात पर निर्भर है। ऐसे में, रुपए की यह कमजोरी पेट्रो उत्पादों के आयात पर भारी पड़ रही है और अंतत: घरेलू बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा।