सम्पादकीय

कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज, प्रतिबंधों से बाहर आने पर किया जाए विचार

Gulabi
23 Feb 2022 6:51 AM GMT
कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज, प्रतिबंधों से बाहर आने पर किया जाए विचार
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कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज
अब जब कोरोना संक्रमण में तेजी से कमी आ रही है और सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज होने के साथ पाजिटिविटी रेट भी घट रहा है, तब फिर प्रतिबंधों से बाहर आने पर विचार किया जाना चाहिए। कम से कम उन पाबंदियों को तो हटा ही लिया जाना चाहिए, जो आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करने अथवा आवागमन में बाधक बन रही हैं। जहां कुछ राज्यों ने रात के कर्फ्यू से मुक्ति पा ली है, वहीं कुछ अभी भी उसे जारी रखे हुए हैं। यह तब है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत पहले ही यह कह दिया था कि कोरोना संक्रमण रोकने में रात का कर्फ्यू बिल्कुल भी कारगर नहीं। जैसे देश के कुछ हिस्सों में रात का कर्फ्यू जारी है, वहीं कहीं-कहीं माल, होटल, रेस्त्रां आदि में 50 प्रतिशत लोगों को ही आने की अनुमति है।
यह सही है कि अधिक भीड़-भाड़ वाले स्थानों में मास्क की जरूरत बनी हुई है, लेकिन अन्यत्र इसकी आवश्यकता नहीं नजर आती। बावजूद इसके कहीं-कहीं मास्क न पहनने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है। इस नियम के चलते यह पुलिस वालों के लिए उगाही का जरिया बन गया है और लोगों की खिन्नता बढ़ाने का भी काम कर रहा है। यह भी अजीब है कि कुछ शिक्षा संस्थान छात्रों से कोरोना मुक्त होने का प्रमाण पत्र मांगने में लगे हुए हैं। यह सब बंद होना चाहिए और ध्यान इस पर केंद्रित किया जाना चाहिए कि कोरोना से पहले के दौर में कैसे लौटा जाए। नि:संदेह इसका मतलब यह नहीं कि आम जनता को ऐसा कोई संदेश दिया जाए कि संक्रमण से बचे रहने के लिए जरूरी सतर्कता का परित्याग कर दिया जाए, लेकिन इतना तो है ही कि अनावश्यक प्रतिबंधों से यथाशीघ्र छुट्टी पाई जाए।
यह समझा जाना चाहिए कि केंद्रीय गृह मंत्रलय ने 28 जनवरी को जब एक माह के लिए कोरोना संबंधी दिशानिर्देश बढ़ाने के आदेश जारी किए थे, तब परिस्थितियां अलग थीं और आज अलग हैं। बदली हुई परिस्थितियों का संज्ञान लेने में देरी करने का कोई औचित्य नहीं। इस मामले में हमें दूसरे देशों से सीख लेनी चाहिए। इसलिए और भी, क्योंकि अब भारत में संक्रमण की चौथी लहर आने की आशंका बेहद कम है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ यही कह रहे हैं कि अगर वह आएगी भी तो मामूली असर के साथ। यह ठीक नहीं कि हम कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिबंध लागू करने में जितनी तत्परता दिखाते हैं, उतनी उन्हें हटाने में नहीं।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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