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जीवन अनमोल, शैक्षिक गुणवत्ता भी जरूरी: आखिरकार केंद्र सरकार ने सीबीएसई की बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का निर्णय ले ही लिया। निस्संदेह, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों के लिये चिंतित थे। यह चिंता तब और बढ़ी जब खुद शिक्षा मंत्री ही प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई बैठक से पहले कोविड संक्रमण के बाद के प्रभाव के चलते एम्स में भर्ती हो गये। बहरहाल, मौजूदा संकट में यह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण हो गया था कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बच्चों के जीवन को अनमोल बताते हुए, परीक्षाएं रद्द करने का निर्णय लिया। यह जरूरी भी हो गया था क्योंकि इस मुद्दे पर जमकर राजनीति होने लगी थी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक परीक्षा करवाने के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर थे। वहीं छात्रों के कुछ समूह भी परीक्षा रद्द करवाने को लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे थे। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा रद्द करने की घोषणा के बाद अधिकारियों को परीक्षा परिणाम तैयार करने को लेकर निर्देश दिये। अधिकारियों से कहा गया है कि परिणाम पूर्णत: निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से तैयार किये जाएं। अब केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति इससे जुड़े मानदंड तैयार करेगी। संभव है छात्रों के पिछले शैक्षिक प्रदर्शन के आधार पर उनका परीक्षा परिणाम तैयार किया जाये। सरकार की कोशिश होगी कि समय रहते परीक्षा परिणाम घोषित किया जाये ताकि अगले सत्र को शुरू करने में कोई व्यवधान न आये। साथ ही उच्चस्तरीय मीटिंग में यह भी तय किया गया कि यदि गत वर्ष की ही तरह कुछ छात्र परीक्षा में बैठने की इच्छा रखते हैं तो परिस्थिति सामान्य होने पर उन्हें इसका विकल्प उपलब्ध कराया जाये। यद्यपि अभी परीक्षा परिणाम घोषित करने की तिथि का जिक्र नहीं किया गया है।