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- प्लाज्मा थेरेपी पर...
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने प्लाज्मा थेरेपी को कोविड-19 के लिए स्वीकृत इलाज की सूची से हटाने का फैसला किया है। पिछले साल भारत में हुए एक बडे़ अध्ययन में पाया गया था कि प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-मरीजों को कोई फायदा नहीं होता। इसके बावजूद आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों में इलाज का यह तरीका बना रहा। इसके बाद भी कई अध्ययनों से यही निष्कर्ष निकला कि इससे न तो कोविड संक्रमण की गंभीरता कम होती है, और न ही मरीज के जल्दी स्वस्थ होने की कोई उम्मीद होती है। पिछले दिनों ब्रिटेन में पांच हजार मरीजों पर एक बड़ा अध्ययन किया गया, जिसके नतीजे 14 मई को प्रतिष्ठित चिकित्सा पत्रिका लैन्सेट में छपे हैं। ये नतीजे भी यही बताते हैं कि कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की कोई उपयोगिता नहीं है। कुछ समय पहले भारत के कई प्रमुख डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर के विजय राघवन को चिट्ठी लिखकर प्लाज्मा थेरेपी को मान्यता प्राप्त इलाज की सूची से हटाने की मांग की थी। इन वैज्ञानिकों का कहना था कि प्लाज्मा थेरेपी अतार्किक व अवैज्ञानिक है और इसका कोई लाभ नहीं है। इसके अलावा, कोरोना के दौर में प्लाज्मा हासिल करना भी मुश्किल काम है। मरीजों के परिजनों को इसके लिए बेवजह ही भटकना पड़ता है। इन वैज्ञानिकों ने एक और गंभीर खतरे की ओर इशारा किया है। उनका कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी के अनियंत्रित इस्तेमाल से हो सकता है कि वायरस के कहीं ज्यादा खतरनाक नए रूप पैदा हो जाएं। इन सब प्रमाणों और चेतावनियों के मद्देनजर आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी को हटाने का फैसला किया है। हालांकि, हम नहीं कह सकते कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद हो जाएगा, क्योंकि कोविड के इलाज के लिए डॉक्टर और मरीजों के परिजन अक्सर जो भी इलाज संभव होता है, वह करते हैं, चाहे उसका असर प्रमाणित हो या न हो। लेकिन समझदार डॉक्टर इसका इस्तेमाल करने से बचेंगे और मरीज के परिजन प्लाज्मा हासिल करने की जद्दोजहद से।