सम्पादकीय

बिन ऑक्सीजन मौत.. इतना झूठ क्यों?

Rani Sahu
24 July 2021 1:01 PM GMT
बिन ऑक्सीजन मौत.. इतना झूठ क्यों?
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सचमुच दिमाग ने नहीं माना कि संसद में सरकार यह कह देगी कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं

Second wave corona oxygen सचमुच दिमाग ने नहीं माना कि संसद में सरकार यह कह देगी कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं। भला ऐसे सत्य को कैसे झुठला सकते हैं, जिसकी फोटो हैं, जिसके मुंह जुबानी बोलते चेहरे हैं, जिसके रोते-बिलखते आंसू हैं! पूरी दुनिया ने, भारत के लोगों ने जब ऑक्सीजन की कमी से फड़फड़ाते लोगों को देखा है, परिवारजनों के आंसुओं को, लाशों को देखा है तब भी सत्य को नकारना।….क्या नरेंद्र मोदी और उनके सलाहकारों का दिमाग माने बैठा है कि दुनिया में भारत राष्ट्र-राज्य को झूठ का विश्व गुरू बनाना है! बिल्कुल समझ नहीं आ रहा है कि कोरोना की मौतें हों, दिल्ली के बत्रा अस्पताल में डॉक्टर तक के ऑक्सीजन की कमी से मरने जैसे अनुभव हो, भारत की जमीन पर चीन के घुसने का सत्य हो या आर्थिकी बरबादी क्या ये सत्य दुनिया से छुपे हुए हैं? पूरी दुनिया में महामारी के वक्त की भारत त्रासदी का सत्य हर तरह से ज्ञात है। भारत ने छोटे-छोटे कंगले देशों से मदद ली है। भारत के मरघट, भारत की मौतों से दुनिया हिली है उसके बावजूद सरकार प्रमाणित करने में लगी है कि भारत जैसा झूठा देश दूसरा नहीं। किसी भी मामले में, एक भी बात में दुनिया के आगे भारत सच बोलता हुआ नहीं है। महामारी, त्रासदी, मानवीय संवेदना सभी में झूठ-दर-झूठ!

सोचें क्यों जरूरी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने मंत्री से यह कहलाना कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई! सरकार सवाल को दबा सकती थी। जवाब टाल सकती थी। कह सकती थी कि राज्यों से आंकड़े मंगाए जा रहे हैं बाद में जवाब देंगे। या सीधे कह सकती थी कि हमें पता नहीं। यह राज्यों का मामला है।

हां, मोदी सरकार की सत्ता सौ टका सुरक्षित है। खूब बहुमत है। किसी के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। उसे जो करना है वह करती हुई है लेकिन इस सबके बीच सत्य न भी बोले तो झूठ बोलने की भी जरूरत नहीं है। किसान को मवाली कहने के बजाय बोलना ही नहीं चाहिए। इजराइली कंपनी से ठेके में भारतीयों की जासूसी कराने के विवाद में बोलना ही नहीं चाहिए। क्या नरेंद्र मोदी और उनके खुफिया सलाहकार मानते हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशन जैसी वैश्विक प्रतिष्ठा वाली संस्था को झूठा कह कर उसे भारत सरकार बदनाम कर सकती है? उलटे वैश्विक अखबारों में सरकार के इस रवैए की खबर के साथ मोदी सरकार की शर्मनाक बदनामी है। सबसे बड़ी बात फ्रांस सरकार ने जासूसी के इस ठेके की और इजराइल सरकार ने मंत्री समूह बना कर जांच शुरू करा दी है। वहां की या वैश्विक मीडिया संस्थाओं की जांच से देर-सबेर मालूम क्या नहीं हो जाएगा कि भारत सरकार ने इजराइल की कंपनी को कितने करोड़ रुपए में जासूसी का ठेका दिया था। तब सरकार क्या कहेगी?

निःसंदेह सरकार पूरी तरह हर बात, हर सत्य को नकारने, झूठा करार देने के ऐसे मोड में, ऐसे भंवर में फंसी है, जिसमें पीएमओ या प्रधानमंत्री अपने स्तर पर रत्ती भर विचार नहीं करते हुए हैं कि घटना पर प्रतिक्रिया से पहले आगे-पीछे सोचा जाए। महामारी की असलियत, सत्य को छुपाने का क्या नुकसान है और क्या फायदा? दिमाग में यह धारणा पैठा ली है कि हम तो विजयी हैं। महामारी पर भी हमारी विजय है तो चीन पर भी विजय तय है और ऐसे ही आर्थिकी के अच्छे दिनों की विजय भी सुनिश्चित है। इस सबमें सत्य, हकीकत का जो मामला है वह दरअसल विजय में बाधा, उसको कमतर बताने की सरकार विरोधी साजिश, आलोचना, विरोध है। इसलिए कुछ भी हो सीधे दो टूक कहो- सब झूठ!

सरकारें पहले भी झूठ बोलती रही हैं। मनमानी करती रही हैं। अहमन्यता में अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारते हुए बेमौत मारी गई हैं। बावजूद इसके ऐसा कभी नहीं हुआ कि भारी बहुमत और सात साल के बेखटके राज के बावजूद प्रधानमंत्री नोटबंदी से ले कर आज तक की गलतियों के अनुभव के बावजूद इस गलतफहमी में जीते हुए हैं कि वाह वे जो बोलते हैं और देश-दुनिया को जो बताते हैं उन पर सर्वत्र तालियां बज रही हैं। अजब ही मनोदशा है। बहुत संभव है यह सब इस विश्वास में हो कि भक्त हिंदू क्योंकि नरेंद्र मोदी को भगवान का अवतार मानते हैं और हिंदू मानस की आस्था फिलहाल स्वर्गानुभूति की है तो सरकार झूठ भी बोले तो वह अमृतवचन माना जाएगा। इसलिए ज्यादा सोचना-विचारना, चिंता करना क्यों?

क्रेडिट बाय नया इंडिया

https://jantaserishta.com/editorial/so-that-history-remembers-959361

Rani Sahu

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