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गांधी जी कहा करते थे 'सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने से नहीं होता
गांधी जी कहा करते थे 'सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने से नहीं होता, अपितु यह तो गांव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है'। भारत में पंचायती राज का गठन और उसकी अवधारणा महात्मा गांधी जी के दर्शन पर आधारित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सपनों को बलवंत राय मेहता ने पूरा किया, जो पूरे देश में बलवंत राय मेहता कमेटी से प्रसिद्ध हुए।
बलवंत राय मेहता भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे, जो आजादी से पहले सौराष्ट्र क्षेत्र से भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए। आजादी के बाद वह गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने। उन्हें 'पंचायती राज का वास्तुकार' तथा भारत में 'पंचायती राज का जनक' कहा जाता है। बलवंत राय मेहता का पूरा नाम बलवंत राय गोपाल जी मेहता था, जिनका जन्म 19 फरवरी 1900 को भावनगर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल हुए तथा बारदोली सत्याग्रह में भी हिस्सा बने और 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के कारण तीन वर्ष की सजा भी सुनाई गई महात्मा गांधी के सुझाव पर वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी से जुड़े।
19 सितंबर 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान वहां मीठापुर से कच्छ जा रहे थे। रास्ते में पाकिस्तानी वायुसेना ने उनके विमान पर हमला कर दिया, जिसमें मेहता जी के साथ उनकी पत्नी, तीन कार्यकर्ता, पत्रकार और विमान चालक की मौत हो गयी थी। इन्हें भारत में 'पंचायती राज का पितामह भी' कहा जाता है।
बलवंत राय मेहता कमेटी से पूर्व योजना आयोग ने 2 अक्टूबर 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ था, जो असफल रहा तो वही फिर इसके एक साल बाद अर्थात 2 अक्टूबर 1953 को भी राष्ट्रीय प्रसार सेवा शुरू की गई, वह भी असफल रही। सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल होने के कारणों की जांच करने के लिए बलवंत राय मेहता समिति 1957 में बनाई गई जनता के हर स्तर पर शामिल करने की धारणा ही सहभागीमूलक लोकतंत्र कहलाया और इस प्रकार त्रिस्तरीय पंचायत का गठन हुआ, जिसमें जिला स्तर पर जिला पंचायत तथा ब्लाक स्तर पर क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत बलवंत राय मेहता समिति ने भारत में त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को लागू किया।
मेहता समिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल 1958 को लागू किया गया। इस समिति द्वारा सर्वप्रथम राजस्थान की विधानसभा में 2 सितंबर 1958 को पंचायती राज अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम के प्रावधानों के के आधार पर ही 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा पंचायती राज का उद्घाटन हुआ।
बलवंत राय मेहता समिति में भी कुछ कमियां थीं, उन कमियों को दूर करने के लिए 1977 में अशोक मेहता समिति का गठन किया गया। इस समिति का मूल यह था कि इस समिति ने ग्राम पंचायत को खत्म करने की सिफारिश की परंतु इसे नामंजूर कर दिया गया। बलवंत राय मेहता ने पंचायतों को और सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की थी। वर्ष 1993 में संविधान के 73वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता मिली थी, जिसका उद्देश्य देश के सभी ग्राम पंचायतों को अधिक से अधिक अधिकार देकर उन्हें और मजबूत बनाना था।
हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में पंचायती राज विषय राज्य की सूची में है। ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 73वें संविधान संशोधन के अंतर्गत महिलाओं को ग्राम पंचायत में एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई थीं, परंतु गांव अब भी आत्मनिर्भर नहीं हो सके, जबकि यह पंचायती व्यवस्था के लक्ष्यों में से एक है। पंचायती राज संस्थाएं अभी सरकारी अनुदान पर ही निर्भर है। उन्हें अपनी वित्तीय व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करना चाहिए तथा इसके नए रास्ते खोजे जाने चाहिए।
भारत में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि 1993 में इसी दिन को 73वां संविधान संशोधन करके पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता दी गई थी। महात्मा गांधी ने जो स्वराज का सपना देखा था, उसमें हुए हर गांव को जोड़ना चाहते थे। वे चाहते थे कि हर गांव इतना आत्मनिर्भर हो कि अपनी सरकार खुद चला सके। इसके लिए आवश्यक है कि हर गांव की पंचायत मजबूत हो। बलवंत राय मेहता ने गांधी जी के सपने को पूरा किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें शत-शत नमन कर रहा है।
अमर उजाला
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