सम्पादकीय

दाऊद का आदमी 'नवाब'!

Rani Sahu
24 Feb 2022 7:03 PM GMT
दाऊद का आदमी नवाब!
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नवाब मलिक को गिरफ्तार किया है

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नवाब मलिक को गिरफ्तार किया है। उन पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के परिजनों और गुर्गों के साथ कथित संबंधों, ज़मीन-जायदाद की खरीद, लेन-देन और सांठगांठ के संगीन आरोप हैं। मंत्री को धन शोधन निरोधक कानून के तहत हिरासत में रखा गया है। अदालत ने 3 मार्च तक रिमांड दी है। ईडी यह भी जांच करना चाहता है कि मंत्री के दाऊद के साथ कितने अंतरंग रिश्ते रहे हैं। हिंदुस्तान के संदर्भ में दाऊद सबसे बड़ा और खूंखार आतंकवादी है। 1993 के मुंबई सिलसिलेवार दंगों और धमाकों को कोई कैसे भूल सकता है? तब शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और दाऊद मुंबई तथा आसपास के उपनगरीय इलाकों में खूब सक्रिय था। उसे मुंबई दंगों का मुख्य साजि़शकार और आतंकी करार दिया गया था। भारत में मोदी सरकार बनने के बाद उसे 'ग्लोबल आतंकी' घोषित कराया गया और 2017 से उसका भाई इकबाल कासकर जेल में कैद है। मंत्री नवाब मलिक पर दाऊद गैंग से ज़मीन खरीदने का आरोप है। करीब 3 एकड़ ज़मीन 30 लाख रुपए में खरीदी गई, जबकि उसका बाज़ार मूल्य 3.5 करोड़ रुपए सेे ज्यादा आंका गया था। नवाब मलिक के बेटे की कंपनी ने भी ऐसा ही सौदा किया था, जिस कंपनी में नवाब मलिक निदेशक थे। फिलहाल मंत्री बनने के बाद वह कंपनी से नहीं जुड़े हैं। इन सौदों में 1993 के दंगों के सजायाफ्ता दोषी सरदार शाहवली खान और दाऊद की बहिन हसीना पारकर के अंगरक्षक सलीम पटेल की भी भूमिकाएं बताई जाती हैं।

आरोपी मंत्री पर रियल एस्टेट में बेनामी निवेश के भी आरोप हैं। ईडी ऐसे तमाम आरोपों को प्रथम स्तर पर खंगाल चुका होगा, तभी 35 पन्नों का रिमांड दस्तावेज तैयार किया जा सका। महाराष्ट्र की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार में कई मंत्रियों पर सवाल और एजेंसी की निगाहें हैं। सिर्फ यह प्रलाप ही तार्किक नहीं है कि आयकर, ईडी, सीबीआई आदि एजेंसियां मोदी सरकार की 'राजनीतिक हथियार' हैं। केंद्र में जिसकी भी सरकार रही है, उसके अधीन ये एजेंसियां काम करती रही हैं और पहले भी छापे पड़े हैं और राजनीतिक गिरफ्तारियां की गई हैं। यही प्रलाप जारी रहा है कि केंद्र सरकार एजेंसियों को दुरुपयोग कर रही है। यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि एजेंसियों को, अंततः, अदालतों में जवाबदेही देनी पड़ती है। मंत्री की गिरफ्तारी होने के बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने तय किया है कि मंत्री का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। वाह! कैसी राजनीतिक नैतिकता है! इस गठबंधन सरकार में ज्यादातर एनसीपी कोटे के मंत्रियों पर गाज गिरी है, लेकिन शिवसेना के बड़े ओहदेदार भी ईडी के रडार पर हैं। सबसे ताज़ा मामला गृहमंत्री अनिल देशमुख का है। वह 100 करोड़ रुपए की कथित वसूली के केस में अब भी जेल में हैं। एक और मंत्री छगन भुजबल 'महाराष्ट्र सदन' से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में दो साल जेल में रहे। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
सहकारी बैंक घोटाले में ईडी उप मुख्यमंत्री अजित पवार के रिश्तेदार की चीनी मिल की संपत्ति जब्त कर चुका है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी 25,000 करोड़ रुपए के इस घोटाले में आरोपी हैं और 2019 में उन्हें नोटिस भेजा जा चुका है। इनके अलावा भी एनसीपी नेता हैं, जो जांच एजेंसियों की निगाहों में हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत की पत्नी वर्षा को 4300 करोड़ रुपए के पीएमसी बैंक घोटाले में ईडी ने नोटिस भेजा हुआ है। मुख्यमंत्री के करीबी एवं परिवहन मंत्री अनिल परब को भी ईडी ने नोटिस भेजकर बुलाया है। महाराष्ट्र सरकार में इतने व्यापक स्तर पर मंत्रियों और बड़े ओहदेदारों पर जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, तो क्या सब कुछ दुराग्रह के तहत किया जा रहा है? क्या हर बार गठबंधन सरकार गिराने की कोशिश की जाती है और सरकार बीते तीन साल से स्थिर है और काम कर रही है? यह क्यों नहीं स्वीकार किया जाता कि कमोबेश मुंबई की सत्ता नेताओं को ज्यादा भ्रष्ट कर रही है? नवाब मलिक पर कार्रवाई केंद्र बनाम राज्य सरकार की लड़ाई नहीं है। आखिर ईडी ने मनी लॉन्डिं्रग अदालत में कुछ तथ्य और साक्ष्य पेश किए होंगे, लिहाजा अदालत ने मंत्री को हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया। दाऊद से जुड़ा कोई भी मामला इस देश को चिंतित करता है, लिहाजा न्यायिक कार्रवाई जरूरी है। इन सभी मामलों और नोटिसों पर हमारी कोई निर्णायक टिप्पणी नहीं है। अदालत अपनी भूमिका निभाए।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

Rani Sahu

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