सम्पादकीय

उम्मीदों की सुबह

Subhi
31 Dec 2022 6:17 AM GMT
उम्मीदों की सुबह
x
वक्त की तुलना मुट्ठी से फिसलती हुई रेत से क्यों की गई है? इस बात का अहसास हमें हर बीतता हुआ साल करवाता रहता है। साल की आखिरी रात को कैलेंडर का एक और साल बीत चुका होगा और उसके बाद हम एक नए साल में प्रवेश करने जा रहे होंगे। नया साल हमेशा संभावनाओं और सपनों से भरा साल होता है। बीते हुए साल में हमने जहां बहुत कुछ पाया होता है, तो वहीं अपनी गलतियों के चलते बहुत कुछ खोया भी होता है। इसलिए नया साल सिर्फ एक जश्न मनाने का मौका ही नहीं होता है।

Written by जनसत्ता: वक्त की तुलना मुट्ठी से फिसलती हुई रेत से क्यों की गई है? इस बात का अहसास हमें हर बीतता हुआ साल करवाता रहता है। साल की आखिरी रात को कैलेंडर का एक और साल बीत चुका होगा और उसके बाद हम एक नए साल में प्रवेश करने जा रहे होंगे। नया साल हमेशा संभावनाओं और सपनों से भरा साल होता है। बीते हुए साल में हमने जहां बहुत कुछ पाया होता है, तो वहीं अपनी गलतियों के चलते बहुत कुछ खोया भी होता है। इसलिए नया साल सिर्फ एक जश्न मनाने का मौका ही नहीं होता है। ये समय एक बार जीवन में ठहरकर, पीछे मुड़कर यह देखने का समय भी होता है कि पिछले साल हमने कौन सी गलतियां की थी? उनके पीछे क्या कारण रहे थे? यह सब इसलिए कि हमें यह पता चल सके कि बीते साल हम क्या सोचकर चले थे और कहां तक पहुंचे हैं।

हमारे समाज में बीत गई बातों को दोबारा से याद करने की परंपरा नहीं रही है, क्योंकि कहा जाता है कि बीती बातों को याद करना एक मूर्खता है। लेकिन उस बीते हुए समय का मूल्यांकन तो किया ही जा सकता है। इसलिए नया साल केवल नए सपनों का साल भर नहीं होता है। यह समय रुक कर अपना आकलन करने का भी होता है, ताकि आने वाले साल को और ज्यादा बेहतर और खूबसूरत बनाया जा सके।

पिछले साल ही शुरू हुए रूस और यूक्रेन के युद्ध ने दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया। आज हम सब आज जिस महंगाई से परेशान हैं, उसमें इस युद्ध की भी बड़ी भूमिका रही है। इस युद्ध ने हम सभी को इस बात का दोबारा से अहसास करा दिया कि युद्ध दुनिया के किसी भी कोने में हो, उसका अंजाम हमेशा जनता को ही भुगतना पड़ता है। युद्ध तो एक समय के बाद समाप्त हो जाता है। पर उसके दिए दंश कई परिवार पीढ़ियों तक नहीं भूल पाते हैं। इसलिए हमें आशा करनी चाहिए कि राजनेताओं को जनता के इस दर्द का अहसास होगा और 'अहं' की यह लड़ाई जल्द समाप्त होगी और नए साल में दुनिया से कोई अच्छी खबर सुनने को मिलेगी।

इन सबके बीच भी समय चाहे अच्छा हो या बुरा हो, वह अपनी गति से आगे ही बढ़ता रहता है, क्योंकि उसे रोकना किसी के लिए संभव नहीं है। बस ये तो हम लोग ही होते हैं जो समय को अच्छे और बुरे के खांचे में बांधने का काम करते हैं। इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि समय हर किसी के लिए कभी एक जैसा नहीं हो सकता है। कोई उसी समय में अपने जीवन को बदल कर रख देता है, तो कोई उसी समय को कठिन मानकर बीतने के इंतजार में बैठ जाता है।

इसलिए जरूरत है कि हमारे सामने जैसा भी समय आए, उसमें अपने प्रयास हमेशा जारी रखने चाहिए। समय के ऊपर वही लोग विजय पाते हैं, जो कठिन समय में भी चलने की आदत बना लेते हैं, ताकि जब कभी हम बीते समय को दोबारा से याद करें तो हमारे मन को एक अच्छा अहसास हो। हमें अपने बीते समय से किसी तरह की शिकायत नहीं रहे। इसलिए अगर पिछले साल की हमारी कुछ यादें कड़वी रह गई थीं, तो हमें उन्हें इस नए साल के इस अवसर पर भुला देना चाहिए। नए साल की सुबह एक नई शुरुआत करने को आवाज दे रही है, ताकि समय बीतने के साथ बीते साल की कड़वी यादें भी मिठास में बदल सकें।


Next Story