सम्पादकीय

दुमका की बेटी का आर्तनाद

Subhi
30 Aug 2022 2:49 AM GMT
दुमका की बेटी का आर्तनाद
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झारखंड के दुमका शहर में जिस तरह एक 19 वर्षीय छात्रा अंकिता पर पेट्रोल डाल कर जलाने की वारदात सामने आयी है उससे देश के सभी न्यायप्रिय सभ्य नागरिकों में रोष है।

आदित्य चोपड़ा; झारखंड के दुमका शहर में जिस तरह एक 19 वर्षीय छात्रा अंकिता पर पेट्रोल डाल कर जलाने की वारदात सामने आयी है उससे देश के सभी न्यायप्रिय सभ्य नागरिकों में रोष है। यह संयोग है कि उस पर पेट्रोल डालने वाला अपराधी मुस्लिम शाहरुख हुसैन है। निश्चित रूप से इस घटना के साम्प्रदायिक आयाम भी ढूंढे जा सकते हैं क्योंकि शाहरुख नाम का अपराधी उससे इकतरफा भी सम्मोहित था। परन्तु संगीन मामला यह है कि अंकिता घटना से पहले कई बार सोशल मीडिया आदि के माध्यम से उसकी बदनीयती के बारे में बता चुकी थी जिसका संज्ञान स्थानीय पुलिस को लेना चाहिए था। 12वीं की कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा यदि किसी व्यक्ति के बारे में इस प्रकार की सूचना देती है तो पुलिस विभिन्न धाराओं में आरोपी के खिलाफ संज्ञान लेकर वाजिब कानूनी कार्रवाई कर सकती थी और छात्रा के साथ ऐसा दर्दनाक कांड होने से रुक सकता था। परन्तु पूरे मामले में स्थानीय पुलिस के ही उप पुलिस अधीक्षक नूर मुस्तफा के खिलाफ स्थानीय भाजपा व अन्य सामाजिक संगठनों के नेता साम्प्रदायिक आधार पर उदार नजरिया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं उससे मामला और भी ज्यादा संवेदनशील हुआ लगता है।मगर मूल सवाल एक 19 वर्षीय युवती का है। उसका धर्म क्या था, इसके मायने तब उठते हैं जब पुलिस इसी आधार पर भेदभाव का रवैया अख्तियार करे। दूसरे जिस तरह देश के विभिन्न राज्यों में 'लव जेहाद' के मामले सामने आते रहते हैं उन्हें देख कर भी दुमका की घटना के बारे में आम नागरिकों का संशय बढ़ जाता है। वैसे सच्चा प्यार न तो धर्म देखता है और न ही जाति देखता है। स्वतन्त्र भारत का संविधान प्रत्येक वयस्क नागरिक को अपना मनपसन्द जीवन साथी चुनने की छूट भी देता है मगर जब ऐसे मामले इकतरफा आते हैं तो संशय का वातावरण बनता है। लव जेहाद के पीछे यही कारण बताया जाता है। परन्तु शाहरुख ने जिस तरह पाशविक व शैतानी घटना को अंजाम दिया है उसकी सजा भारत के फौजदारी कानून में बहुत कठोर है। अतः यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि उसके मजहब के आधार पर समाज का कोई भी समुदाय उसका पक्ष लेने की गलती नहीं करेगा क्योंकि अपराधी केवल अपराधी होता है वह हिन्दू-मुसलमान बाद में होता है।अंकिता को न्याय दिलाने के लिए उसके पक्ष में देश के तथाकथित पंथ निरपेक्षतावादी तत्वों को भी उठ कर खड़ा होना चाहिए और मांग करनी चाहिए कि अपराधी के साथ नरमी बरतने वाले किसी भी पुलिस अधिकारी को बख्शा न जाये। पिछले दिनों गुजरात की बिल्किस बानो के 11 अपराधियों की आजीवन कारावास की सजा को जिस तरह माफ किया गया, उसे लेकर देश के कई हिस्सों में अभी भी विरोध प्रदर्शन हो रहा है जबकि सजा माफी के मुद्दे पर विचार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली है। परन्तु इस मामले को भी कुछ तत्व साम्प्रदायिक व राजनैतिक रंग देना चाहते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि बिल्किस बानो के साथ जो हुआ था वह समूची मानवता को शर्मसार करने वाला था और ऐसे लोगों की सजा माफी होना स्वयं में ही पूरी मानवीय सभ्यता के मुंह पर एक तमाचा था तथा अपराधियों का सम्मान किया जाना और भी अधिक चीत्कार पैदा करने वाला था परन्तु अंकिता के साथ दुमका में जो हुआ है वह भी किसी स्तर पर मानवता को तार-तार करने से कमतर नहीं है क्योंकि एक नवयौवना का जीवन ही शारीरिक आकर्षण के मोह में लील लिया गया है। ऐसी घटनाओं का सम्बन्ध निश्चित रूप से अपराधियों के संस्कारों से भी होता है। इस हकीकत को हमे नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए। भारत की संस्कृति है कि व्यक्ति प्रेम में बलिदान या अपने हितों की कुर्बानी तक देने को तैयार रहता है क्योंकि उसकी नजरों में अपनी प्रेमिका का सुख ही सर्वोपरि रहता है। परन्तु वर्तमान समाज में जब हम इसके उलट देखते हैं तो सोचने पर मजबूर होना पड़ता है प्रेम में पाशविकता का प्रवेश हो रहा है।बेशक दुमका कांड के राजनैतिक आयाम भी हो सकते हैं क्योंकि विभिन्न राजनैतिक दल एक-दूसरे पर तुष्टीकरण करने के आरोप भी लगाते रहते हैं। परन्तु मनुष्य का जीवन इन सभी आग्रहों से ऊपर होता है। अतः यह मांग भी नाजायज नहीं कही जा सकती कि अंकिता पर हमला होने के बाद ही उसका उपचार देश के बेहतर से बेहतर चिकित्सा संस्थान में कराया जाना चाहिए था और प्रशासन को इसके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए थीं। परन्तु अब 19 वर्षीया छात्रा हमारे बीच में नहीं है। अतः इस प्रकार के अमानुषिक कृत्यों को करने से रोकने के लिए अपराधी जहन वाले लोगों के लिए कानून का डंडा हमेशा तैयार रहना चाहिए। हालांकि पुलिस ने शाहरुख के उस साथी को भी गिरफ्तार कर लिया है जिसने उसे पेट्रोल मुहैया कराया था। नईम अंसारी उर्फ छोटे खां नाम के इस व्यक्ति के साथ भी किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए और इस कांड की तह तक जाकर पुलिस को सभी कोणों से गहराई से जांच करनी चाहिए।

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