- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- क्षेत्रीयता की खतरनाक...
जब राजनीति का उद्देश्य सिर्फ निजी स्वार्थ या पारिवारिक लाभ तक सीमित रह जाता है, तब राष्ट्रहित और जनता के हित हाशिये पर चले जाते हैं। ऐसे में निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए जाते हैं, इसकी नवीनतम मिसाल है पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बंगाली बनाम बाहरी को मुद्दा बनाने की कोशिश। बंगाल में सत्ता विरोधी लहर की चुनौती झेल रही तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को घेरने के लिए एक नया शिगूफा छेड़ते हुए उसे बंगाल से बाहर की पार्टी कहा। संवैधानिक धरातल पर पड़ताल करें तो यह वक्तव्य निहायत ही गलत है। संविधान सभा के उपाध्यक्ष बंगाल के हरेंद्र कुमार मुखर्जी और संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर आदि की अगुआई में बना भारतीय संविधान किसी भी नागरिक के साथ कोई भेदभाव नहीं करता। संविधान के अनुच्छेद पांच के अनुसार कोई भी नागरिक पूरे देश का नागरिक होगा, न कि किसी राज्य का।