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- खतरनाक लापरवाही
Written by जनसत्ता: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जिस तरह एक युवक ने हमला किया, उससे यही जाहिर हुआ है कि मौजूदा दौर में कई वजहों से बढ़ती आक्रामकता और अराजकता के बीच शीर्ष नेताओं की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सावधानी नहीं बरती जा रही। नीतीश कुमार दो दिन के लिए बाढ़ लोकसभा क्षेत्र के दौरे पर थे। बख्तियारपुर में एक प्रतिमा पर माल्यार्पण के दौरान भीड़ से अचानक एक युवक निकल कर नीतीश कुमार के पास गया और पीछे से उन पर हमला कर दिया।
गनीमत बस यह थी कि उसके पास कोई हथियार नहीं था। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे दबोच लिया। लेकिन जिस तरह वह मुख्यमंत्री तक पहुंच कर उन पर हमला करने में कामयाब हो गया, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुरक्षा में इस चूक का नतीजा क्या हो सकता था। आखिर वहां विशेष रूप से मुख्यमंत्री के लिए ही तैनात सुरक्षाकर्मियों के होते हुए वह युवक इतनी आसानी से नीतीश कुमार तक कैसे पहुंच गया?
इस घटना के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय ने जांच का आदेश दिया है और कहा है कि इस मामले में जो भी पुलिस अफसर दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस महकमे की ओर से जांच और कार्रवाई वैसी ही नहीं होगी, जो ज्यादातर घटनाओं के बाद महज औपचारिकता के निर्वाह के तौर पर देखी जाती है। गौरतलब है कि नीतीश कुमार की सुरक्षा में संबंधित एजंसियों की यह लापरवाही तब भी सामने आई है, जब उन्हें निशाना बना कर हमले की कोशिश पहले हो चुकी है।
कायदे से मुख्यमंत्री के स्तर की शख्सियत की सुरक्षा-व्यवस्था हर वक्त चाक-चौबंद होनी चाहिए, ताकि किसी भी आपराधिक मानसिकता वाले व्यक्ति को कोई अवांछित हरकत करने के बारे में सोचने तक का मौका नहीं मिले। लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि आशंकाओं के बावजूद कई बार सुरक्षा के लिए तैनात लोग आसपास के माहौल को सहज देख कर सब कुछ सुरक्षित होने के प्रति आश्वस्त हो जाते हैं। जबकि कोई हमलावर ऐसे माहौल की ताक में हो सकता है, जब सुरक्षाकर्मी अपनी ड्यूटी को लेकर थोड़े लापरवाह हो जाएं। क्या मुख्यमंत्री स्तर के व्यक्तित्व की सुरक्षा में तैनात तंत्र और उसके संचालकों को इस बुनियादी और सामान्य स्तर की आशंका नहीं थी?
यों इस घटना के बाद शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि हमला करने वाला युवक अपनी कई निजी परेशानियों की वजह से मानसिक रूप से व्यथित था। हताशा और अवसाद की इसी स्थिति में उसने हमला करने की कोशिश की। अगर ऐसा है, तब भी यह पूरी तरह जांच का विषय है। इसके बावजूद तथ्य यही है कि एक व्यक्ति बाकायदा हमले के मकसद से मुख्यमंत्री तक पहुंचने में कामयाब हो गया, जिसका कोई भी बेहद गंभीर नतीजा सामने आ सकता था।
यह अलग बात है कि नीतीश कुमार ने इस मामले पर उदार और संवेदनशील रुख का परिचय दिया। उन्होंने इस युवक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने और अधिकारियों को उसकी समस्या को समझ करकिसी स्तर पर बीमार होने की स्थिति में इलाज में उसकी मदद करने के निर्देश दिए हैं। निश्चित रूप से यह नीतीश कुमार की निजी संवेदनशीलता हो सकती है। मगर व्यवस्थागत रूप से यह देखने की जरूरत है कि उन पर हमले की यह कोशिश समूचे खुफिया और सुरक्षा तंत्र की लापरवाही और चूक का नतीजा है। समय रहते इस पर ध्यान देने और मुख्यमंत्री की सुरक्षा-व्यवस्था को पूरी तरह चाक-चौबंद किए जाने की जरूरत है।