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पाकिस्तान निर्मित उत्पादों के जरिये भारतीय उत्पादों को टक्कर दे सके।
दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा कॉलेज के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के शत्रु चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तो सक्रिय हैं ही, लेकिन देश को दुश्मनों के गैर-परंपरागत युद्धों से भी काफी खतरा है। और यह है दुश्मन देशों द्वारा चलाया जाने वाला सूचना और साइबर युद्ध। उन्होंने इन दुश्मनों से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि पूरे विश्व को मिलकर इसका मुकाबला करना चाहिए, तभी इन पर विजय संभव है!
इस युद्ध का मुख्य उद्देश्य होता है, देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा कर देश के टुकड़े-टुकड़े करवाना। जो काम पहले युद्धों द्वारा किया जाता था, उसे अब सूचना युद्ध द्वारा किया जाता है। विश्व के अनेक देशों में आंतरिक अस्थिरता फैलाने के लिए चलाए जाने वाले दुष्प्रचार इसके उदाहरण हैं। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर के मणिपुर में पनप रहा आतंकवाद इसके उदाहरण हैं। सूचना तथा साइबर युद्ध के कारण देश की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा के बीच अंतर कम होता जा रहा है!
आतंकवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करता है, परंतु इन आतंकियों को धन, प्रशिक्षण और हथियार देश के दुश्मन उपलब्ध कराते हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को पूरी सहायता तथा निर्देश आईएसआई से ही मिलते हैं! आज सूचना युद्ध के जरिये समाज में आसानी से विद्वेष फैलाया जा सकता है! दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन चला। इसके लिए अल्पसंख्यक वर्ग में सरकार के विरुद्ध तरह-तरह की भ्रामक सूचनाएं फैलाकर देश विरोधी भावनाएं भड़काकर उन्हें प्रदर्शन एवं दंगों के लिए तैयार किया गया।
यूक्रेन-रूस युद्ध में भी इस सूचना युद्ध की बहुत बड़ी भूमिका सामने आई है, जिसके कारण महाशक्ति कहा जाने वाला रूस अब तक सफलता प्राप्त नहीं कर सका है! पश्चिमी मीडिया ने रूसी सैनिकों का मनोबल इतना गिरा दिया है कि कई मोर्चों पर से रूसी सेना पीछे हट रही है। भारत में विभिन्न समुदायों और जातियों के बीच अक्सर छोटे-छोटे मुद्दों पर विवाद होता रहता है, और पाकिस्तान इसका फायदा उठाना चाहता है। पाकिस्तान के एजेंट देश के विभिन्न भागों में अल्पसंख्यक समुदाय में अनजाना भय पैदा कर जगह-जगह तनाव पैदा करते रहते हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण नागरिकता संशोधन कानून है, जिसकी गलत विवेचना कर लोगों को प्रदर्शन के लिए उकसाया गया। ऐसे प्रदर्शनों को उग्र बनाने के लिए ये एजेंट ऐसी हरकतें करते हैं, जिससे सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करना पड़े और देश में अशांति एवं अस्थिरता का माहौल पैदा हो। इसीलिए शासन तंत्र को चलाने वाले नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों तथा विदेश सेवा के उच्च स्तर के अधिकारियों को भी राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रशिक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा कॉलेज, दिल्ली में सेना के अधिकारियों के साथ दिया जाता है!
इसलिए रक्षामंत्री ने उच्च स्तर के अधिकारियों को उनके प्रशिक्षण पूरा होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा के नए खतरों के प्रति सावधान किया। जाहिर है, आज के आधुनिक युग में युद्ध केवल सीमा पर लड़ने वाले सैनिक ही नहीं लड़ेंगे, बल्कि इस युद्ध में देश के हर नागरिक की भागीदारी होगी! विशेषज्ञों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध में युद्ध का सबसे बड़ा कारण आर्थिक पहलू है! विश्व की महाशक्ति अमेरिका, जिसने नाटो गठबंधन को तैयार किया है, रूस की आर्थिक नाकाबंदी करके रूसी गैस और तेल की आपूर्ति को बाधित करना चाहता है, ताकि रूस की आर्थिक व्यवस्था चौपट की जा सके!
इस समय भारत और चीन के बीच भी आर्थिक प्रतिस्पर्धा दिन-पर-दिन कड़ी होती जा रही है! चीन भारत के उत्पादों के निर्यात पर लगाम लगाकर भारत की आर्थिक स्थिति खराब करना चाहता है! इसके लिए वह पाकिस्तान के साथ साझा आर्थिक गलियारा बना रहा है, ताकि वह पाकिस्तान निर्मित उत्पादों के जरिये भारतीय उत्पादों को टक्कर दे सके।
सोर्स: अमर उजाला
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