सम्पादकीय

मनमानी पर अंकुश

Subhi
7 Jun 2022 3:34 AM GMT
मनमानी पर अंकुश
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आखिरकार भाजपा ने विवादित बयान देने पर अपनी एक प्रवक्ता को पार्टी से निलंबित कर संदेश देने का प्रयास किया है कि इस तरह के बेतुके और मनमाने बयान देने वालों के खिलाफ पार्टी सख्त कदम उठाएगी।

Written by जनसत्ता: आखिरकार भाजपा ने विवादित बयान देने पर अपनी एक प्रवक्ता को पार्टी से निलंबित कर संदेश देने का प्रयास किया है कि इस तरह के बेतुके और मनमाने बयान देने वालों के खिलाफ पार्टी सख्त कदम उठाएगी। प्रवक्ता के साथ ही दिल्ली के मीडिया शीर्ष को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। पिछले आठ सालों में शायद पहली बार है, जब पार्टी ने अपने किसी नेता के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई की है।

दरअसल, जिस प्रवक्ता को निलंबित किया गया है, उन्होंने एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उसे लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में स्वाभाविक ही रोष पैदा हुआ और उन्होंने इसका विरोध करने का फैसला किया था। पिछले शुक्रवार को कानपुर में बाजार बंद का आह्वान किया गया था, फिर भी कुछ दुकानें खुली हुई थीं।

नमाज के बाद लोग लौटे तो उन्होंने उन दुकानों को बंद कराने का प्रयास किया और हिंसा भड़क उठी। उस दिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री का कानुपर में ही कार्यक्रम था। इसके बावजूद हिंसा भड़की, तो सुरक्षा इंतजामों और खुफिया तंत्र की नाकामियों पर भी सवाल उठने शुरू हो गए। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने उस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी शुरू कर दी।

मगर सरकार की किरकिरी तब अधिक हुई जब खाड़ी देशों ने भाजपा प्रवक्ता के बयान को गंभीरता से लेते हुए कड़े बयान दिए और कूटनीतिक कार्रवाइयां शुरू कर दी। इसलिए कुछ लोगों का कहना है कि अगर खाड़ी देशों ने सख्त प्रतिक्रिया न जताई होती, तो शायद सरकार इस मामले को भी कुछ उपद्रवियों के सिर मढ़ कर रफा-दफा करने का प्रयास करती।

इस बयान के चलते भारत सरकार और भाजपा की छवि दूसरे देशों में खराब हुई है। पहले ही अमेरिका जैसे कुछ देश भारत में बढ़ते सांप्रदायिक विद्वेष को लेकर तल्ख रिपोर्टें जारी कर चुके हैं, ऐसे में भाजपा प्रवक्ता के बयान ने आग में घी का काम किया। खाड़ी देशों से भारत के पुराने व्यापारिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, उन पर कोई आंच आएगी, तो मुश्किलें बढ़ेंगी ही। अच्छी बात है कि भाजपा ने अपने प्रवक्ता के बयान से खुद को अलग करते हुए कहा है कि वह सभी धर्मों का समान आदर करती है, किसी भी धर्म के प्रति उसमें अनादर का भाव नहीं है। इस तरह भारत सरकार बेशक खाड़ी देशों से अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास करे, पर इसके जरिए उस पर विपक्ष को भी निशाना साधने का एक मौका और मिल गया है।

हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब किसी नेता ने अल्पसंख्यक समुदाय और उसके धर्म को लेकर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की है। जगह-जगह धर्मसंसदों में दिए गए बयान हाल की घटनाएं हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग होती रही, अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, मगर सरकार मौन साधे रही। सरकार में शामिल कई नेता भी ऐसी अशोभन और तल्ख टिप्पणियां दे चुके हैं, जिसके चलते सामाजिक सौहार्द पर आंच आई है।

इसलिए कुछ लोगों की अपेक्षा वाजिब है कि जब भाजपा ने अपने बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू की है, तो इसे सीमित नहीं रखना चाहिए। जब तक वह चुनिंदा कार्रवाई करती रहेगी, तब तक पार्टी में अनुशासन नहीं आएगा। भाजपा देश की बड़ी पार्टी है और देश-दुनिया में लोग उसके नेताओं, कार्यकर्ताओं से उदार और आदर्श आचरण की उम्मीद करते हैं। इसके लिए पार्टी को कड़े अनुशसान अपनाने की जरूरत है।


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