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- संस्कृति विहीन शिक्षा...
कुछ दिन पहले 9 सितंबर को मुझे पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के उपाध्यक्ष के तौर पर हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित एक हाई लेबल की कार्यशाला में शामिल होने का मौका मिला, जिसमें हिमाचल के दो बार के मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री शांता कुमार जी और कांगड़ा के माननीय संसद श्री किशन कपूर भी शामिल थे। हिमाचल स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब की तरह प्रोग्रेसिव काम कर रहा है। इस मंच पर जहां मुझे पंजाब द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किए जा रहे प्रयास को हिमाचल स्कूल बोर्ड के अध्यक्ष व उच्च शिक्षा अधिकारियों के साथ एक सार करने का अवसर मिला, वहीं माननीय शांता जी द्वारा शिक्षा और भारतीय संस्कृति की बढ़ती दूरी पर चिंता दिल को छू गई। उनकी बात महत्त्वपूर्ण लगी कि अब सामाजिक विसंगतियों पर नकेल डालने का एकमात्र तरीका चरित्र मूल्यों को विकसित करने वाली शिक्षा है। भारतीय संस्कृति देश में सभी धर्मों में मौजूद उच्च कोटि के विचारों का समुद्र है। हमें शिक्षा में भारतीय संस्कृति के संयोग और उसके मर्म को किसी समुदाय विशेष से न जोड़ते हुए शिक्षा में भारतीयता के महत्त्व को गहराई से समझना और विचारना चाहिए।