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डा. विजय अग्रवाल। सीसैट यानी सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट पेपर 2011 में अपने जन्म से ही घोर विवादों से घिरा रहा है, जिसे संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) 'सामान्य ज्ञान द्वितीय' कहना पसंद करता है। हालांकि, इस दौरान इसमें दो बदलाव किए गए हैं। आरंभ में इसके प्राप्तांक कुल प्राप्तांकों में जुड़ते थे, लेकिन 2015 से इसे 33 प्रतिशत न्यूनतम स्कोर के साथ केवल क्वालिफाइंग पेपर कर दिया गया। दूसरा यह कि इसके 80 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में भाषा ज्ञान के नाम पर जो सात-आठ प्रश्न अंग्रेजी भाषा पर पूछे जाते थे, उन्हें समाप्त कर दिया गया, लेकिन क्या इन दो सुधारों के बाद बात बन गई? नहीं। इस नए पेपर ने कुछ ऐसा कर दिया है कि कुल प्रशासकों के लगभग तीन-चौथाई पद विज्ञान के तथा लगभग आधे पद इंजीनियर्स के लिए सुरक्षित हो गए हैं। यदि इस देश की सिविल सेवा को समावेशी बनाना है तो इस पेपर से जुड़ी समस्याओं का समाधान अनिवार्य है।