सम्पादकीय

क्रिप्टोकरेंसी : पीएम मोदी के हस्तक्षेप की नौबत क्यों आयी?

Gulabi
14 Nov 2021 1:22 PM GMT
क्रिप्टोकरेंसी : पीएम मोदी के हस्तक्षेप की नौबत क्यों आयी?
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पीएम मोदी के हस्तक्षेप की नौबत क्यों आयी?
संयम श्रीवास्तव।
आज की युवा पीढ़ी तेजी से अमीर बनना चाहती है. बिना यह जाने समझे कि तेजी से अमीर बनने का रास्ता कितना खतरनाक है. आजकल लोगों को तेजी से अमीर बनाने का काम कर रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) वाले. आए दिन आप इंटरनेट पर और टीवी चैनलों पर ऐसे तमाम गैर पारदर्शी विज्ञापन देखते हैं, जिनमें झूठे वादे करके युवाओं को गुमराह किया जाता है. लेकिन अब शायद भारत में ऐसा नहीं हो पाएगा. क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इन्हीं मुद्दों से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता की है और इस बैठक से जो खबर निकल कर आई है, वह सुकून देने वाली है. क्योंकि इस बैठक में यह फैसला लिया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर किए जा रहे झूठे वादों और गैर पारदर्शी विज्ञापनों के जरिए जिस तरह से युवा पीढ़ी को गुमराह किया जा रहा है, उस पर एक्शन लिया जाएगा.
दूसरी बात यह कि प्रधानमंत्री की यह बैठक रिजर्व बैंक वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की संयुक्त परामर्श प्रक्रिया के बाद हुई है. जिसमें इन मंत्रालयों ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनिया भर के एक्सपर्ट से इस बारे में चर्चा की थी. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में की गई इस बैठक में फैसला लिया गया है कि इस अस्थाई क्रिप्टोकरेंसी मार्केट को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विधेयक लाने जा रही है केंद्र सरकार
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार तेजी से फल-फूल रहा है. युवा जल्दी से अमीर बनने के लिए बिना क्रिप्टोकरेंसी की बुनियादी समझ के भी इसमें फटाफट पैसा लगा रहे हैं. वह भी तब जबकि रिजर्व बैंक पिछले दरवाजे से क्रिप्टोकरेंसी की खरीद फरोख्त बंद करने की कोशिश कर चुका है. खबर है कि भारत सरकार जल्द ही इस क्रिप्टो ट्रेड्स को रेगुलेट करने के लिए एक विधेयक ला सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को जिस बैठक की अध्यक्षता की गई इसमें इस वर्चुअल करंसी मार्केट से जुड़ी तमाम चिंताओं को सामने रखा गया. और भविष्य में भारत इस पर क्या रुख अपनाएगा इस पर भी विचार किया गया. केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड्स को रेगुलेट करने के लिए एक विधेयक पेश करने की योजना बनाई थी. लेकिन फिलहाल यह पेश नहीं हो पाया. हालांकि अब जो संकेत मिल रहे हैं, उसे देखकर उम्मीद की जा रही है कि आने वाले शीत सत्र में क्रिप्टोकरेंसी के लिए विधेयक पेश किया जा सकता है.
पूरी तरह बैन नहीं होगी क्रिप्टोकरेंसी
चीन ने अपने देश में क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से बैन कर दिया है. लेकिन भारत फिलहाल इसे पूरी तरह से बैन करने के बारे में नहीं सोच रहा है. सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े खतरों को जरूर समझ रही है. लेकिन इससे निपटने के लिए वह इसे बैन नहीं करने वाली है. बल्कि सरकार इसको लेकर प्रोएक्टिव स्टेप उठाने की सोच रही है. यानि कि एक बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग के बाद जो जानकारी बाहर निकल कर आई, उससे पता चलता है कि मीटिंग के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर और उसके भविष्य को देखते हुए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए जाना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले खतरों के लिए उठाए जाएंगे कुछ कदम
भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को इंडिया में भले ही पूरी तरह से बैन ना करे, लेकिन इससे होने वाले खतरों पर उसकी पूरी नजर है. जैसे कि मनी लांड्रिंग या फिर आतंकवादी घटनाओं की फंडिंग से लेकर ड्रग माफिया के अवैध कमाई को छुपाने के लिए भी इसका प्रयोग विश्व स्तर पर किया जा रहा है. इसीलिए केंद्र सरकार और अलग अलग मंत्रालय समेत रिजर्व बैंक भी इन खतरों से निपटने के लिए दुनिया के जाने माने विशेषज्ञों से सलाह ले रही है. नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक से जो खबर निकल कर आई उसके अनुसार अनुमान है कि आने वाले समय में भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे को टैक्स के दायरे में ले आने की कोशिश करे. अगर ऐसा हुआ तो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे खतरों को कम करने में मदद मिलेगी.
अमेरिका और रूस के बाद सबसे ज्यादा क्रिप्टो मालिकों की संख्या भारत में
ब्रोकर डिस्कवरी ऑफ कंपैरिजन प्लेटफार्म 'ब्रोकर चूज़र' की हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया कि भारत लगभग 10 करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो मालिकों की संख्या के साथ दुनिया में अमेरिका और रूस के बाद तीसरे स्थान पर है. इसके साथ ही भारत में कुल क्रिप्टो सर्चेज़ की संख्या लगभग 36 लाख के आसपास है. जबकि क्रिप्टो अवेयरनेस स्कोर में भारत को 10 में से 4.39 अंक हासिल हैं. इस मामले में यूक्रेन 7.97 अंकों के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद रूस, अमेरिका, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और यूके का स्थान है.
इसे ऐसे समझिए कि पिछले 12 महीनों में कुल ग्लोबल सर्चेज़, क्रिप्टो मालिकों की संख्या, ग्लोबल क्रिप्टो अडॉप्शन इंडेक्स और अन्य कई फैक्टर्स के आधार पर भारत सातवां सबसे ज्यादा क्रिप्टो अवेयर देश है. भारत ने इस मामले में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि भारत को भी और जागरूक बनना होगा. क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी जितना आसान दिखता है असल में इतना आसान है नहीं.
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