सम्पादकीय

क्रिप्टोकरेंसी : डिजिटल रुपये की राह आसान नहीं

Neha Dani
27 Nov 2021 1:41 AM GMT
क्रिप्टोकरेंसी : डिजिटल रुपये की राह आसान नहीं
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जो बताता है कि भारत में डिजिटल करेंसी रुपये की राह आसान नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी जारी करने की दिशा में काम कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा की कीमत निश्चित होगी और इसका मूल्य मुद्रित मुद्रा रुपये के समान ही होगा। भारत में फिलहाल बिटकॉइन, जैसी, आभासी मुद्रा का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है। 17 अक्तूबर, 2021 तक भारत में 1.5 करोड़ से अधिक लोग आभासी मुद्रा का उपयोग कर रहे थे, जबकि 31 अक्तूबर, 2021 तक दुनिया भर के देशों में 22.1 करोड़ लोग आभासी मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे थे।

वैश्विक स्तर पर आभासी मुद्रा के बढ़ते चलन को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक चाहता है कि भारत की भी अपनी एक डिजिटल करेंसी हो, क्योंकि वर्तमान में रिजर्व बैंक जरूरत के अनुसार नोट छापता है, जो बैंकों के माध्यम से बाजार में पहुंचता है, जिसमें काफी समय लग जाता है। डिजिटल रुपये को भारतीय रिजर्व बैंक मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप के माध्यम से सीधे उपयोगकर्ता को भेज सकेगा या फिर इसे बैंकों के माध्यम से भेजा जा सकेगा, जिसे प्राप्त करने के बाद व्यक्ति उस डिजिटल रुपये को किसी दूसरे व्यक्ति को अंतरित कर सकता है। रिजर्व बैंक का मानना है कि इस करेंसी के अस्तित्व में आने के बाद बिटकॉइन या किसी दूसरी आभासी मुद्रा में खरीद-फरोख्त करने से हो रहे नुकसान से लोगों को बचाया जा सकेगा।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) नकदी का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। जिस तरह से लोग नकदी से लेनदेन करते हैं, वैसे ही डिजिटल करेंसी रुपया से भी लेनदेन किया जा सकेगा। सीबीडीसी कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी या आभासी मुद्रा जैसे, बिटकॉइन या ईथर की तर्ज पर काम करेगा, क्योंकि इनका लेनदेन बिना किसी मध्यस्थ या बैंक के होता है। डिजिटल करेंसी रुपये का निवेश किया जा सकता है या नहीं, इसकी कोई जानकारी रिजर्व बैंक ने नहीं दी है।
लेकिन भारत में इसे बहुलता में निवेश करना संभव नहीं होगा, क्योंकि हमारे यहां अधिकांश लोग न तो वित्तीय रूप से साक्षर हैं और न ही तकनीक की जानकारी रखते हैं। सभी भारतीयों के पास स्मार्टफोन भी नहीं है। 31 जनवरी, 2021 तक देश में 115.6 करोड़ लोग मोबाइल इस्तेमाल कर रहे थे, पर स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 50 करोड़ ही थी।
बिटकॉइन या इस जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी या आभासी मुद्रा निजी तौर पर जारी की जा रही है, जिसके कारण इन पर किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं है। इसके अधिकांश उपयोगकर्ता गुमनाम रहकर इनका लेनदेन करते हैं। आज आतंकी व गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। अपहरण या किसी को ब्लेकमेल करने में भी इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसके इस्तेमाल का एक बड़ा कारण जल्द से जल्द अमीर बनने की ललक भी है। वैसे, वैश्विक स्तर पर भी किसी देश में बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी अभी तक जारी नहीं की गई है। चीन में भी पायलट प्रोजेक्ट ही चल रहे हैं। इस वजह से कोई मॉडल सामने नहीं है, जिसे देखकर इस दिशा में कार्रवाई की जा सके या उसे अपनाया जा सके। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, तकनीकी नवोन्मेष से जुड़ी चुनौतियां अब भी मौजूद हैं और आर्थिक स्थायित्व के विकल्पों की पड़ताल में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में 2021 क्रिप्टोकरेंसी ऐंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे भारत की डिजिटल करेंसी रुपये को मूर्त रूप देने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है, पर यह बिल सिर्फ कानूनी ढांचा भर है और इसमें डिजिटल करेंसी के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा नहीं की गई है। ऐसे में डिजिटल करेंसी रुपया की संकल्पना को अमलीजामा पहनाना आसान नहीं है।
इससे जुड़ी अनेक वित्तीय और तकनीकी समस्याओं के साथ ही डिजिटल करेंसी रुपया अधिकांश भारतीयों की समझ से आज भी परे है, क्योंकि भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी अब भी गांवों में रहती है और भारत की साक्षरता दर अब भी 77.7 प्रतिशत है, जो बताता है कि भारत में डिजिटल करेंसी रुपये की राह आसान नहीं है।
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