सम्पादकीय

बेअदबी भी चुनावी मुद्दा!

Rani Sahu
20 Dec 2021 7:01 PM GMT
बेअदबी भी चुनावी मुद्दा!
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सिखो के पवित्रतम ‘स्वर्ण मंदिर’ में दरबार साहिब और फिर कपूरथला के निजामपुर गुरुद्वारे में ‘निशान साहिब’ (सिखों का धार्मिक ध्वज) की बेअदबी के प्रयास किए गए

सिखो के पवित्रतम 'स्वर्ण मंदिर' में दरबार साहिब और फिर कपूरथला के निजामपुर गुरुद्वारे में 'निशान साहिब' (सिखों का धार्मिक ध्वज) की बेअदबी के प्रयास किए गए। यह कोशिश या साजि़श घोर निंदनीय है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब न केवल सिखों का पवित्रतम धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि वह आस्था का आधार भी है। हमारी संस्कृति में गुरु परंपरा एक साझा विरासत है। उसे खंडित करना घोर आपराधिक है। जिन्होंनेे बेअदबी की कोशिशें कीं, वे कौन थे और किसके इशारे पर पवित्र ग्रंथ को अपवित्र करने की पराकाष्ठा तक जा पहुंचे थे, यह फिलहाल जांच का विषय है, लेकिन भरे-पूरे गुरुद्वारे में कथित अपराधी 'दरबार साहिब' तक कैसे पहुंचा, सिख आस्था को अपवित्र करने की आश्चर्यजनक कोशिश की, उसके मद्देनजर यह एक सामूहिक साजि़श प्रतीत होती है। बेशक यह जघन्य अपराध की श्रेणी का प्रयास था, लेकिन स्वर्ण मंदिर और कपूरथला जिले के गुरुद्वारों में सेवादारों ने आरोपितों को पीट-पीट कर मार डाला। सिखों के पवित्र गुरुद्वारों के प्रांगण में इनसानी हत्याएं की गईं। उस पर एक रहस्यमयी और गहरी चुप्पी साध रखी है। हत्या तो जघन्य ही नहीं, बर्बरता का अंतिम उदाहरण भी है।

कोई भी शख्स कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता। बेअदबी के खलनायकों को पकड़ कर कानून के हवाले किया जाना चाहिए था, लेकिन उत्तेजना, उन्माद और गुस्से में भीड़ का विवेक मर जाता है। यह भी अपराध है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर 'अकाल तख्त' के जत्थेदार तक, पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल से मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तक, सभी तरह के धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व और सरकारी अधिकारियों ने सिर्फ जांच की बात कही है। हत्याओं के अपराध की भर्त्सना नहीं की है। जांच तो होनी ही थी। मुख्यमंत्री चन्नी ने विशेष जांच दल (सिट) का गठन भी कर दिया है। राजनेता नाप-तोल कर बोल रहेे हैं, क्योंकि पंजाब में विधानसभा चुनाव फरवरी,'22 से पहले ही होने हैं। सवाल है कि 2017 की तर्ज पर 2022 में भी बेअदबी एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनेगा? क्या उसके आधार पर जनता में ध्रुवीकरण कराया जाएगा और भावनात्मक आधार पर वोट हासिल करने के आह्वान किए जाएंगे? 2015 में भी फरीदकोट में बेअदबी का मामला सामने आया था। उसके बाद पुलिस गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की हत्या हो गई थी। तब राज्य में अकाली दल-भाजपा की सरकार थी। वह मुद्दा 2017 के चुनाव में छाया रहा।
नतीजतन सरकार बदल गई और कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार बनी। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ही सरकार के खिलाफ बेअदबी का मामला उठाते रहे। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तो उसके बाद कैप्टन को इस्तीफा देकर सत्ता के बाहर होना पड़ा। अब कैप्टन और भाजपा साथ-साथ हैं। वे बेअदबी को बेहद संवेदनशील मुद्दा करार दे रहे हैं। जांच का निष्कर्ष पहले भी सामने नहीं आया और अब भी हम प्रतीक्षा करेंगे, लेकिन हत्या के बाद जो माहौल बना है, वह सामान्य नहीं है। बेअदबी के संदर्भ में आम सिख गुस्से में है। हालांकि पुलिस अफसरों का मानना है कि दोनों गुरुद्वारों में बेअदबी नहीं हुई। श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सम्मान बरकरार है। यदि अभी इस मुद्दे को शांत नहीं किया गया, तो दूसरे महत्त्वपूर्ण विषय पीछे छूट सकते हैं। कृषि के तीन विवादित कानूनों को संसद में रद्द करने और किसानों की अधिकतर मांगों पर लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ है, लेकिन किसानों के सरोकार आज भी गरम मुद्दा हैं। इसके अलावा, बेरोज़गारी के कारण नौजवान राज्य छोड़ कर पलायन कर रहे हैं, उनमें बेचैनी है, उद्योगों की दयनीय स्थिति है, बिजली से जुड़े मुद्दे हैं और राज्य में भ्रष्टाचार व्यापक तौर पर व्याप्त है। ये मुद्दे बेअदबी के कारण पीछे छूट सकते हैं, जबकि इन्हें प्राथमिकता से संबोधित किया जाना चाहिए।

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