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- फसल की बात: खाद के लिए...
रबी की बुआई सर पर है और पूरे देश में खाद के लिए हाहाकार मचा है। सहकारी समितियों पर सुबह से किसान लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं। खाद नहीं मिलती है, तो फिर दूसरे दिन लाइन में लगने के लिए सुबह-सुबह घर से निकल पड़ते हैं। इफको द्वारा मांग की तुलना में केवल चालीस प्रतिशत के आसपास डीएपी (डी-अमोनियम फास्फेट) और एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) खादों की आपूर्ति हो पा रही है। इसी कारण दिन भर किसान खाद के इंतजार में समितियों पर बैठे रहते हैं, इससे खेती-किसानी का काम प्रभावित होता है।यह स्थिति तब है, जब हाल की बरसात ने खाद की मांग को थोड़ा नियंत्रित कर रखा है। खेतों के गीला हो जाने से जुताई-बुआई के काम में विलंब हो रहा है। जैसे ही खेत सूखेंगे, जुताई तेज होगी और सरसों, चना, गेहूं, आलू, प्याज आदि रबी फसलों की बुआई के लिए डीएपी की मांग और बढ़ेगी। डीएपी की कमी कई वर्षों से बनी हुई है। हमने इसका कोई स्थायी हल नहीं निकाला है। सहकारी समितियों से सब्सिडी युक्त खाद प्राप्त करना भागीरथ प्रयास हो चुका है।