- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मानसून में मजे के साथ...

मानसून एक तरफ जहां आनंद, उल्लास और खुशियों की बौछार कर हमें भिगोता है तो वहीं इस मौसम में बिजली गिरने, बादल फटने और बाढ़ आने से अत्यधिक हानि भी होती है। अचानक आने वाली इन आपदाओं से भारी नुकसान होता है। ये प्राकृतिक घटनाएं हैं, किन्तु इनको विनाशकारी हम लोगों ने ही बनाया है। यदि हम प्रकृति के प्रति सचेत, संवेदनशील, जाग्रत और उदार रहें तो इन आपदाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चलिए समझते हैं बिजली, बादल, बारिश, बाढ़ व इनसे बचने के उपायों के बारे में। बिजली गिरना : मानसून में जब नम और शुष्क हवा के साथ बादल टकराते हैं तो बिजली चमकती है और इसके गिरने का खतरा होता है। वर्ष 1872 में वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन पहले शख्स थे जिन्होंने बिजली चमकने का सही कारण बताया था। उनके मुताबिक जब आकाश में बादल छाए होते हैं तो उसमें मौजूद पानी के छोटे-छोटे कण वायु की रगड़ के कारण आवेशित हो जाते हैं। कुछ बादलों पर 'पाजिटिव चार्ज' आ जाता है तो कुछ पर 'निगेटिव चार्ज।' जब ये दोनों तरह के चार्ज वाले बादल मिलते हैं तो उनके मिलने से लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है। केलिफोर्निया के बर्कले विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार 'ग्रीनहाउस गैसों' के बढऩे से हुए बदलाव से बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं नासा के अध्ययन के अनुसार यदि धरती का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो बिजली गिरने की लगभग 10 प्रतिशत घटनाएं बढ़ती हैं। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष बिजली गिरने की 2.5 करोड़ घटनाएं होती हैं। हमारे देश में हर साल 2000 से अधिक मौतें बिजली गिरने के कारण होती हैं।
By: divyahimachal
