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- कोरोना काल में संकट के...
इन दिनों अमर उजाला में 'संकट के सिपाही' नामक एक शृंखला चल रही है। इसका उद्देश्य धर्म, जाति, क्षेत्र और रंग से परे समाज में मानवीय संवेदनाओं, करुणा, प्रेम और नि:स्वार्थ सेवा की ताकतों को मजबूत करना है। एक सशक्त वर्ग महामारी के दौरान भी जिस तरह धर्म को घसीट कर अपने संकीर्ण हित साधने की कोशिश करता रहा है, उसके मद्देनजर विगत 26 मई को दो सिपाहियों पर प्रकाशित सामग्री का उल्लेख प्रासंगिक है। एक हैं जौनपुर के डॉ. शाहिद और दूसरे हैं वाराणसी के महंत बालक दास। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सक डा. शाहिद की पत्नी का पिछले दिनों कोरोना से इंतकाल हो गया। रोगियों की चिकित्सा करते-करते वह खुद संक्रमित हो गए। पत्नी के निधन के तीसरे दिन वह फिर मरीजों के इलाज में जुट गए। अगर कोई मरीज केंद्र तक आने की हालत में नहीं है, तो वह उसके घर भी पहुंच जाते हैं। वाराणसी के पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालकदास ने मठ में 24 घंटे का सेवा केंद्र खोल रखा है। वह दवा, अनाज, ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर-हर चीज की व्यवस्था में जुटे रहते हैं। वह कहते हैं कि हमारे मठ के दरवाजे सभी धर्मों और जातियों के लिए हमेशा खुले रहते हैं।