सम्पादकीय

फिल्म उद्योग पर फिर संकट

Gulabi
6 April 2021 4:14 PM GMT
फिल्म उद्योग पर फिर संकट
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कोरोना की दूसरी लहर से सभी चिंतित हैं। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण सभी सैक्टर को बहुत नुक्सान झेलना पड़ा ​था

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आदित्य नारायण चोपड़ा। कोरोना की दूसरी लहर से सभी चिंतित हैं। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण सभी सैक्टर को बहुत नुक्सान झेलना पड़ा ​था। बड़ी मुश्किल से गतिविधियां चालू हुई थीं। बाजार खुल गए, लोगों ने आना-जाना शुरू किया था लेकिन महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि जैसे राज्यों में हालात ज्यादा विकट हो जाने से इन राज्यों में सरकारें अब जिस तरह से सख्त कदम उठा रही हैं, वे पिछले साल की देशव्यापी पूर्ण बंदी की यादें ताजा करने के लिए काफी हैं। पिछले साल तो मजबूरी यह थी कि तब इस बीमारी की टीका या कोई दवा नहीं थी और सिर्फ बचाव संबंधी उपायों का पालन करके ही संक्रमण से बचा जा सकता था लेकिन अब तो व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चल रहा है लेकिन इसके बावजूद संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि गंभीर बात है। महाराष्ट्र की स्थिति तो सबसे विकट है। कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष सिनेमा उद्योग की कमर तोड़ दी थी। फिल्म उत्पादन वितरक और प्रदर्शन तीनों ही क्षेत्रों में हजारों करोड़ों रुपए का नुक्सान फिल्म जगत को उठाना पड़ा। फिल्मों की शूटिंग बंद हो गई थी। वितरक तैयार फिल्मों को उठा नहीं रहे थे। सिनेमाघरों पर ताले लगाए गए थे। ऐसे में बीते वर्ष ओटीटी का विकल्प मिला और कहा गया कि यह मनोरंजन बाजार की मुसीबत की दवा है मगर 28 भाषाओं में 2000 के आसपास फिल्में बनाने वाले उद्योग को अकेला ओटीटी बाजार की मुसीबत से बाहर निकाल देगा, यह कहना अतिश्योक्ति होगा।


लॉकडाउन के अनलॉक होने पर नए दिशा-निर्देश के तहत सिनेमा हॉल खोले गए। फिल्मों और टीवी सीरियलों की शूटिंग जारी हुई। उम्मीद बंधी थी कि फिल्म और टीवी उद्योग से जुड़े 2.5 लाख श्रमिकों को काम मिलना शुरू हो जाएगा जिनमें जूनियर आर्टिस्ट, तकनीशियन, सेट डिजाइनर, बढ़ई और बैकग्राउंड डांसर आदि शामिल हैं। कोरोना के चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए। उनकी मदद करने के लिए छिटपुट प्रयास हुए जो अपर्याप्त थे। इस तरह की घटनाएं भी सामने आईं, जिनमें बताया गया कि किसी कलाकार ने आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या कर ली। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए लगता है कि फिल्म जगत से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी का संकट 2021 में भी टलता नजर नहीं आ रहा। महाराष्ट्र में अब फिर से नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। सरकार द्वारा नए प्रतिबंध लगाए गए हैं। नाइट कर्फ्यू का अर्थ यही है कि फिल्म उद्योग से जुड़ी गतिविधियां ठप्प होकर रह जाएंगी। अब केवल 33 प्रतिशत स्टाफ के साथ ही शूटिंग की जा सकती है। फिल्म निर्माताओं को सलाह दी है कि वे बड़े डांस और मारधाड़ वाले दृश्यों की शूटिंग नहीं करें।

इस पाबंदियों से जूनियर एक्टर्स और दिहाड़ीदारों पर फिर से बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है। अभिनेत्री कंगना रनौत की 'थलाईवी' और अक्षय कुमार की फिल्म सूर्यवंशी इस माह के अंत तक रिलीज होनी है। पाबंदियों का अर्थ यही है कि बड़े बजट की फिल्में अपनी लागत भी पूरी नहीं कर पाएंगी। जो निर्माता, वितरक अपनी फिल्मों को बड़े पर्दे पर रिलीज करने की योजना बना रहे थे, उन्हें अपनी योजना टालनी पड़ेगी। अक्षय कुमार खुद ही कोरोना संक्रमित नहीं हुए बल्कि उनकी फिल्म रामसेतु की यूनिट के 45 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, रणवीर कपूर, आमिर खान, विकी कौशल, कार्तिक आर्यन आदि भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वायरस के तेजी से प्रसार के बीच शूटिंग करना जोखिम भरा हो चुका है। रामसेतु की यूनिट के अधिकांश सदस्यों के कोरोना संक्रमित हो जाने से फिल्म उद्योग में खौफ फैल गया है। हालात ऐसे नहीं लगते कि कोरोना की लहर जल्द शांत पड़ जाएगी। अगर इस पर काबू पाने में लम्बा समय लगा तो बाॅलीवुड के लगभग बड़े निर्माता तो प्रभावित होंगे ही बल्कि भाषाई फिल्म निर्माण करने वाले और टीवी निर्माता, निर्देशक प्रभावित होंगे। ​फिल्मों के निर्देशन का शेड्यूल 2021 में भी गड़बड़ाता नजर आ रहा है। देश में 6327 सिंगल स्क्रीन सिनेमा समेत साढ़े 9 हजार स्क्रीन हैं। बीते साल ओटीटी की खूब चर्चा रही। ओटीटी पर फिल्में रिलीज करने का चलन बढ़ा। इससे फिल्म और धारावाहिक निर्माताओं को ​​थोड़ी राहत मिली लेकिन इसका असर मल्टीप्लेक्स कारोबार पर पड़ा। सिनेमाघर बंद होने से ओटीटी विकल्प जरूर बना लेकिन इतने बड़े उद्योग को ओटीटी नहीं संभाल सकता। दस-बीस लाख की लागत से बनी फिल्मों के लिए तो ओटीटी ठीक है लेकिन आजकल 300 से 500 करोड़ लागत तक की फिल्मों के लिए देश भर में सिनेमाघर चाहिए। उम्मीद तो थी कि अनलॉक के बाद गतिविधियां सामान्य हो जाएंगी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उम्मीदों को धराशायी कर दिया है। लगता नहीं कि 2021 का साल भी मनोरंजन उद्योग की आफत भरा रहेगा।


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