सम्पादकीय

अपराध और सवाल

Subhi
1 Sep 2022 5:01 AM GMT
अपराध और सवाल
x
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में अब तक कुछ अहम गिरफ्तारियां हुई हैं। इस हत्याकांड में शामिल दो निशानेबाज अपराधी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे भी गए थे। जिन लोगों को पकड़ा गया

Written by जनसत्ता: पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में अब तक कुछ अहम गिरफ्तारियां हुई हैं। इस हत्याकांड में शामिल दो निशानेबाज अपराधी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे भी गए थे। जिन लोगों को पकड़ा गया, उन्हीं से मिली सूचनाओं के आधार पर पुलिस और जांच एजंसियां आगे बढ़ती रही हैं। जैसा कि पुलिस का दावा है कि इस हत्याकांड के पीछे सक्रिय गिरोहों का पता तो लग चुका है, बस उनके सरगना तक पहुंचना बाकी है।

चूंकि इस हत्याकांड की साजिश रचने वाले अपराधी दूसरे देशों में छिपे बैठे हैं, इसलिए इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को इंटरपोल की भी मदद लेनी पड़ी है। इंटरपोल की मदद से ही हाल में एक आरोपी सचिन थापन बिश्नोई अजरबैजान में पकड़ा गया। उसे भारत लाने की कोशिशें चल रही हैं। यह निश्चित ही बड़ी कामयाबी है। लेकिन अभी भी इस कांड के तीन साजिशकर्ता गिरफ्त से बाहर हैं।

जैसा कि बताया जा रहा है कि सचिन की गिरफ्तारी की भनक लगते ही कनाडा में छिपे लारेंस बिश्नोई का भाई अनमोल बिश्नोई कनाडा से केन्या भाग गया। मूसेवाला को मारने की साजिश रचने वाले दो अन्य आरोपी गोल्डी बराड़ और लिपन नेहरा अभी कनाडा में ही छिपे हैं। मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी गोल्डी ने ही ली थी।

मूसेवाला की हत्या पंजाब की कानून व्यवस्था पर किसी तमाचे से कम नहीं है। इससे यह साफ हो गया कि राज्य में गैंगवार संस्कृति फिर से सिर उठा रही है। यह घटना कोई सामान्य अपराध नहीं थी। मूसेवाला को मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे विदेश में बैठे अपने आका के इशारे पर काम कर रहे थे। अगर पंजाब जैसे कड़ी सुरक्षा वाले राज्य में भी कनाडा, आर्मेनिया, केन्या जैसे देशों में बैठे सरगना अपनी गतिविधियां चला ले जा रहे हैं, लोगों से फिरौती वसूल रहे हैं और नहीं देने पर उनकी हत्या करवा दे रहे हैं, तो बेहद गंभीर बात है।

पंजाब में अपराधी गिरोहों के टकराव भी कोई नई बात नहीं है। यह भी वर्षों से चल रहा है। माना जा रहा है कि राज्य में इस वक्त सत्तर आपराधिक गिरोह हैं जो हत्या, फिरौती, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे धंधों में शामिल हैं। ये आपराधिक गिरोह एक दूसरे के धंधे पर कब्जा करने के लिए आपस में भिड़ते रहते हैं। जेलों के भीतर भी गैंगवार की खबरें आती ही रही हैं। लेकिन सवाल इस बात का है जिन लोगों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने और ऐसे अपराधियों से निपटने की जिम्मेदारी है, वे आखिर करते क्या रहे हैं? अगर किसी राज्य में अपराधी गिरोह इस तरह सिर उठाते रहें तो इसका मतलब यही माना जाना चाहिए कि पुलिस नाम के तंत्र ने उनके सामने हथियार डाल दिए हैं और सरकार लाचार है।

पंजाब पाकिस्तान सीमा से सटा राज्य है। इसलिए यह बेहद संवेदनशील है। इस राज्य ने लंबे समय तक आतंकवाद की मार झेली है। हालांकि राज्य में अब आतंकवाद पहले जैसा नहीं रह गया है, लेकिन अब यह राज्य सबसे ज्यादा नशीले पदार्थों की खपत वाला बन गया है। यहां की नौजवान पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है। ये सब बातें और घटनाएं पंजाब की सरकार और पुलिस को कठघरे में इसलिए खड़ा करती हैं कि एक सशक्त तंत्र होने का दावा करने के बावजूद अपराधियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि आखिर पंजाब नशाखोरी का बड़ा केंद्र कैसे बन गया? कैसे आपराधिक गिरोह और बंदूक संस्कृति पनपती चली गई और पुलिस, खुफिया तंत्र और सरकारें चाहे वर्तमान सरकार हो या पिछली सरकारें, आखिर क्या करती रहीं?


Next Story