सम्पादकीय

मौसम और पानी

Rani Sahu
22 March 2022 5:44 PM GMT
मौसम और पानी
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credit by hindustan

सब चकित हैं, मौसम अचानक बदल गया है। मार्च में ही अप्रैल जैसी गरमी का एहसास न केवल अध्ययन का विषय है, बल्कि संकेत है कि हम भी बदलते मौसम के प्रति पहले से कहीं ज्यादा सचेत हो जाएं। रविवार को मुंबई में जहां पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया, तो वहीं दिल्ली में इसने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। राजधानी में न्यूनतम तापमान 21.2 था, इसका मतलब है, गरम कपड़ों की जरूरत अचानक से खत्म हो चुकी है। पंखे तेज चल पड़े हैं, उनके बिना बचैनी महसूस होने लगी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस वक्त पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश होती थी, तो ठंडी हवा नसीब होती थी, लेकिन इस बार वह विक्षोभ देखने में नहीं आया है। दिन साफ होने लगे हैं और सूरज तपने लगा है। चूंकि घरों की दीवारें अभी ठंडी हैं, इसलिए गरमी कुछ कम महसूस हो रही है, वरना तापमान ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। आमतौर पर मार्च के महीने में आठ मिलीमीटर तक बारिश हो जाती है, पर इस महीने दिल्ली बारिश के लिए तरस रही है।

इस महीने के आने वाले दिनों में भी मौसम विभाग को अनुमान है कि अधिकतम और न्यूनतम पारा कमोबेश यथावत ही रहेगा। इन दिनों न्यूनतम पारा को 15 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए, लेकिन अब 20 डिग्री सेल्सियस के करीब चल रहा है। तेज धूप चुभेगी और लोग सिर छिपाने के लिए ठौर तलाशेंगे। मौसम बदलने का यह समय तरह-तरह के संक्रमण का भी समय हो सकता है, अत: सावधान रहने की जरूरत है। मौसमी बीमारियों का खतरा इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि हवा में प्रदूषण का स्तर भी ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि गरमी कुछ ही क्षेत्रों तक सिमटी हुई हो, राजस्थान से बिहार तक अचानक बढ़ी गरमी की खूब चर्चा हो रही है। यह भी गौर करने की बात है कि विगत सप्ताह से अंटार्कटिका में भी तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। दुनिया के इस सबसे ठंडे स्थान पर तापमान सामान्य से 30 डिग्री सेल्सियस ऊपर चढ़कर माइनस 11 डिग्री सेल्सियस हो गया है। अंटार्कटिका में ऐसा कभी नहीं हुआ था, इससे वैज्ञानिकों में भी चिंता व्याप्त हो गई है। यह पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों के बारे में गहराई से चिंतन का समय है।
मौसम पर विचार इसलिए भी मौजूं है, क्योंकि आज दुनिया में जल दिवस भी मनाया जा रहा है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, वैसे-वैसे जल की जरूरत भी बढ़ती जाएगी। प्रदूषण के विरुद्ध भी पानी एक महत्वपूर्ण उपचार या दवा का काम करता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि हमें विगत वर्षों से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जब भी मीठे पानी का ख्याल आता है, लोग नदियों, आर्द्रभूमि, झीलों या जलाशयों के बारे में सोचते हैं। हममें से बहुत से लोग पानी बर्बाद करते हुए यह भी ध्यान नहीं रखते हैं कि पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा में से 97.5 प्रतिशत खारा पानी है और केवल 2.5 प्रतिशत ही ताजा पानी है। मीठे पानी में से सिर्फ 0.3 प्रतिशत सतह पर तरल रूप में है। इसलिए लोगों को यह बार-बार बताने की जरूरत है कि हमारी दुनिया में जल संरक्षण कितना जरूरी है। बड़े-बड़े शहर भी पेयजल के लिए तरसने लगे हैं। हमारे देश में भी अनेक शहरों के पास इतना पानी नहीं कि वे सभी लोगों को उनकी जरूरत भर का पानी दे सकें। हमें अपने आसपास पानी बचाने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा, दूर स्थित नदियां या जलाशय ज्यादा दिनों तक काम नहीं आएंगे।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

Rani Sahu

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