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- धूर्त कोरोना:...
सवा साल से तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को भय व अवसाद से भर दिया है। पहली लहर, दूसरी का भयावह कहर और तीसरी की आशंकाओं के बीच नित नयी सूचनाएं असमंजस व डर का वातावरण बना रही हैं। यही वजह है कि देश के विभिन्न राज्यों के जिलाधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भी कि नित नये वेरिएंट सामने और घातकता में बदलाव लाने वाला यह वायरस बहुरूपिया है और धूर्त भी है। उन्होंने अब बच्चों और युवाओं को ग्रास बनाने वाले वायरस के खिलाफ नयी रणनीति बनाने और नये समाधान पर बल दिया। इस बीच केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों को महामारी बनते ब्लैक फंगस को 'महामारी कानून' के तहत अधिसूचित करने को कहा है। इसके साथ ही जो नये शोध सामने आये हैं, उसके हिसाब से नयी एडवायजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि खांसने और छींकने से कोविड संक्रमण हवा में दस मीटर की परिधि तक चपेट में ले सकता है। इससे बचाव के लिये जारी दिशा-निर्देशों में डबल मास्क लगाने की सलाह भी दी गई है और कमरों में हवा का प्रवाह तेज करने को कहा गया है ताकि बंद कमरों में वायरस की अधिकता को कम किया जा सके। इसका निष्कर्ष यह है कि अब तक जिस बात पर वैज्ञानिक बल देते रहे थे, उसमें बदलाव की जरूरत है। आरंभ में वैज्ञानिकों का कहना था कि खांसने और छींकने में जो बूंदें सतह पर गिरती हैं, उससे संक्रमण फैलता है और यह हवा से नहीं फैलता। इसी क्रम में दो गज की दूरी और सतह को संक्रमण-रहित बनाने पर जोर दिया गया था। लेकिन नयी एडवायजरी से स्थिति बदलती नजर आ रही है। दरअसल, यह एक नयी महामारी है और इसके खिलाफ व्यापक शोध व अनुसंधान का वक्त नहीं मिल पाया है। संभव है धीरे-धीरे कई दूसरी मान्यताओं में भी समय के साथ बदलाव आये।
क्रेडिट बाय दैनिक ट्रिब्यून