सम्पादकीय

राहुल पर कोर्ट का फैसला

Rani Sahu
21 April 2023 5:18 PM GMT
राहुल पर कोर्ट का फैसला
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By: divyahimachal
सूरत सत्र अदालत के न्यायाधीश ने सिर्फ एक ही शब्द बोला-‘डिसमिस्ड।’ और राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी। कांग्रेस नेता ने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके तहत राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। नतीजतन उनकी सांसदी को खारिज कर दिया गया था। यदि यह सजा जारी रहती है, तो राहुल 6 साल तक चुनाव लडऩे को ‘अयोग्य’ होंगे और तमाम अपीलें खारिज होने के बाद उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है। बेशक वह सत्र अदालत के फैसले को अहमदाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे, ऐसा सर्वोच्च अदालत के वरिष्ठ वकील एवं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने खुलासा किया है। अपील के अंतिम निस्तारण तक राहुल गांधी जमानत पर रहेंगे। यह मामला आपराधिक मानहानि का है, लेकिन गांधी परिवार के वर्चस्व और कांग्रेस की राजनीति से ज्यादा जुड़ा है। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने 11 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक की कोलार चुनावी जनसभा के दौरान सवाल उठाया था कि सारे चोर मोदी-नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेन्द्र मोदी-ही क्यों हैं? अगर ढूंढोगे, तो और भी नाम मिल जाएंगे। ‘मोदी सरनेम’ में राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री मोदी का नाम भी लिया था। हमने बयान को बार-बार सुना है। यकीनन यह घोर आपत्तिजनक और अपमानित करने वाला बयान था। यह प्रधानमंत्री मोदी के प्रति राहुल के निजी पूर्वाग्रह और नफरत को भी प्रतिबिंबित करता है। चुनाव से बयान का सरोकार क्या था? प्रतिक्रिया में सूरत पश्चिम के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दर्ज करा दिया। पटना में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी यह केस दर्ज कराया है। लंदन में ललित मोदी भी राहुल को कटघरे में खींचने की बात कह चुके हैं।
शायद राहुल ने कल्पना भी नहीं की होगी कि निचली अदालत ऐसा फैसला दे सकती है, जिसके नतीजतन उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द की जा सकती है! वह बार-बार हुंकार भरते रहे कि वह गांधी हैं, वह डरा नहीं करते, गांधी माफी भी नहीं मांगा करते। यह उनके अहंकार और हेकड़ी की अभिव्यक्ति ही थी, अलबत्ता कुछ मामलों में वह अदालत से लिखित माफी मांग चुके हैं। अब सत्र अदालत के न्यायाधीश के फैसले ने स्पष्ट कर दिया कि कानून सभी के लिए समान है। गांधी परिवार कानून और संविधान से ऊपर नहीं है। न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (3) के तहत सांसद के रूप में गांधी को हटाने या अयोग्य घोषित किए जाने को ‘अपूरणीय क्षति’ या नुकसान नहीं कहा जा सकता। यदि उन्हें सजा न सुनाई गई होती, तो अनाप-शनाप बोलने का क्रम जारी रहता। बहरहाल इस एक निर्णय से 2024 का राजनीतिक संकट, कांग्रेस के लिए, गहरा सकता है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। वहां ओबीसी करीब 54 फीसदी हैं, लिहाजा भाजपा ने अभी से ओबीसी अपमान का मुद्दा गरमा दिया है। खुद प्रधानमंत्री इसी वर्ग से आते हैं और उनका अपमान किया गया है, लिहाजा उन्होंने चुनाव जनसभाओं में यह मुद्दा उठाया, तो कांग्रेस बखूबी जानती है कि चुनाव किस तरफ मुड़ सकता है। राहुल की वाणी ने अपशब्दों का प्रयोग किया था, लेकिन विडंबना है कि कांग्रेस उसका भी बचाव कर रही है! राहुल के साथ बड़े नेता, तीनों मुख्यमंत्री भी, बस में भरकर सूरत तक गए। कांग्रेस प्रवक्ता अडानी, योगी, हाथरस, उन्नाव, गोली मारो स्सालों को…सरीखे बेतुके तर्क दे सकते हैं, लेकिन आपराधिक मानहानि पर क्या कहेंगे?
Rani Sahu

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