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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कश्मीर दौरा ऐतिहासिक भी है और प्रेरक भी। ऐतिहासिक इसलिए कि अनुच्छेद 370 के हटने और जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छिनने के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली कश्मीर यात्रा है। सांबा जिले के पल्ली में प्रधानमंत्री ने यह उचित ही कहा है कि जम्मू-कश्मीर की जड़ों तक लोकतंत्र पहुंच गया है, यही वजह है कि मैं यहां से पूरे देश को संबोधित कर रहा हूं। वाकई, कश्मीर में पहले जैसा माहौल नहीं है। सुरक्षा जब कड़ी हो गई है, निचले स्तर पर सरकार काम कर रही है, तब लोगों को भी राहत का एहसास होने लगा है। हालांकि, कुछ हिंसा अभी भी जारी है, लेकिन उसका आतंक पहले जैसा नहीं है। सबसे खास बात यह है कि प्रधानमंत्री ने कश्मीर घाटी के युवाओं से संवाद सशक्त करने की कोशिश की है। इसमें कोई दोराय नहीं कि कश्मीर में शांति और विकास की पहल के लिए युवाओं की भागीदारी सबसे जरूरी है। युवाओं को यह एहसास दिलाना जरूरी है कि वह एक सुरक्षित और विकसित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। कश्मीर घाटी की कम से कम पिछली दो पीढ़ियों के हिस्से समस्याओं की जो विरासत आई है, उससे पीछा छुड़ाना जरूरी है।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान