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
देश को पूरी तरह से बदलने का फैसला हो चुका था। आजादी के बाद पैदा हुई सारी गंदगी मिटाने के लिए सभी एकजुट थे और उत्साहित सरकार उन सभी को ढूंढ रही थी जिनके कारण भारत खराब नज़र आता है। वे तमाम लोग पकड़े जा रहे थे जिनके कारण नालियां और गलियां गंदी नज़र आती हैं। जिनके घर बिजली नहीं या नल में पानी गंदा था। दरअसल अब सरकार ने पुराने बहाने बदलते हुए खराब देश के मुहाने बदलने शुरू किए थे, वे भी पकड़े जा रहे थे। देश को चकाचक बनाने की पहले भी कोशिशें हुईं, पर इसके लिए कभी गंदगी के ऊपर दीवारें लगाई गईं या कभी होर्डिंग ऊंचे किए गए। अब तौर तरीका बदलते हुए देश की खराबियों के लिए जिम्मेदार गंदे लोग चिन्हित किए जा रहे हैं। यानी अब जहां भी लगेगा कि देश ठीक नहीं है, वहां के लोग पकड़े जाएंगे। लोगों में पहली बार यह भय पैदा हुआ कि देश सुधारने के लिए कहीं उनके भीतर की कोई त्रुटि सामने न आ जाए। हमारे मोहल्ले की पानी आपूर्ति ने हमें फंसा दिया।
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