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- जाली करेंसी का करंट

वर्ष 2016 में जब देश में नोटबंदी का निर्णय लिया गया था तो दलील दी गई थी कि इससे नकली करेंसी पर रोक लगेगी। लेकिन जमीनी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं हुआ। हाल की रिपोर्टें चौंकाने वाली हैं कि नकली करेंसी में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2020-21 की तुलना में पांच सौ के एक सौ एक फीसदी अधिक नकली नोटों की जानकारी हासिल की। इसी तरह दो हजार मूल्य के 54 फीसदी अधिक नोटों का पता लगाया। दूसरे छोटे नोटों में यह वृद्धि कम है क्योंकि जाली नोट बनाने वालों को बड़े नोट चलाने में ज्यादा फायदा होता है। निश्चय ही यह चिंताजनक स्थिति है क्योंकि आंकड़े आरबीआई के संज्ञान में आये नोटों के हैं। वास्तव में चलन में कई गुना नकली नोट प्रचालित हैं जिनका भान आम आदमी तक को नहीं होता। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार पता लगने वाले नकली नोटों का प्रतिशत महज तीन-चार प्रतिशत होता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस बड़े पैमाने पर नकली नोट प्रचलन में हो सकते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 92 करोड़ से अधिक के नकली नोट बरामद किये गये। जो 2019 में पकड़े गये नकली नोटों के मुकाबले 190 फीसदी अधिक थे। दरअसल, आर्थिक अपराधी पांच सौ व दो हजार के नकली नोट तैयार करने में ज्यादा रुचि लेते हैं क्योंकि इसमें ज्यादा मुनाफा होता है।
