सम्पादकीय

कमखर्ची की जानलेवा नीति

Gulabi Jagat
10 Oct 2022 12:48 PM GMT
कमखर्ची की जानलेवा नीति
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Source: aapkarajasthan.com

By NI Editorial
राजकोषीय अनुशासन अच्छी बात है। लेकिन धनी लोगों पर अधिक टैक्स लगा कर भी राजकोषीय सेहत बेहतर रखी जा सकती है। कटौतियों का सारा बोझ गरीब लोग उठाएं, यह कतई उचित नहीं है।
नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के दौर में दुनिया भर की सरकारें कमखर्ची बरतने की नीति पर चली हैं। राजकोषीय अनुशासन का ऐसा नियम दुनिया में लागू किया गया है कि सरकारों को जरूरी सार्वजनिक सेवाओं पर भी खर्च घटाना पड़ा। और ऐसा सिर्फ विकासशील देशों में नहीं हुआ। बल्कि विकसित देशों की भी ऐसी ही कहानी है। लेकिन इस चलन का खतरनाक परिणाम हुआ है। अब एक ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि ब्रिटेन में सार्वजिनक सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च घटाने की सरकारी नीति जानलेवा साबित हुई है। हाल के वर्षों में इस नीति के कारण तीन लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। खास कर 2008 की आर्थिक मंदी के बाद बनी स्थितियों में ब्रिटेन में ऑस्टिरिटी यानी कमखर्ची की नीति लागू की गई। अध्ययनकर्ताओं ने 2012 से 2019 के बीच इस नीति के हुए परिणामों का अध्ययन किया। इससे सामने आया कि इस दौरान हजारों लोग आमदनी घटने, खराब सेहत, पौष्टिक भोजन ना मिलने, उचित आवास ना होने, और सामाजिक अलगाव के कारण मर गए। अध्ययन रिपोर्ट जर्नल ऑफ इपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में छपी है।
ये अध्ययन रिपोर्ट उस समय जारी हुई है, जब लिज ट्रस के नेतृत्व वाली मौजूदा कंजरवेटिव सरकार ने सार्वजनिक खर्चों में और कटौती का संकेत दिया है। इसके तहत कामकाजी उम्र के लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती का भी इरादा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होंगे। अध्ययन में कई संस्थान शामिल हुए, जिनका नेतृत्व ग्लासगो यूनिवर्सिटी और ग्लासगो सेंटर फॉर पॉपुलेशन हेल्थ ने किया। अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कमखर्ची की नीतियों को तुरंत वापस लेने की जरूरत है। साथ ही ऐसी नीतियां लागू की जानी चाहिए, जिससे समाज के कमजोर तबकों को संरक्षण मिल सके। अध्ययनकर्ताओं ने कहा है कि ब्रिटिश सरकार को सामाजिक सुरक्षा में भारी कटौती के हुए विनाशकारी प्रभावों से सीख लेनी चाहिए। ब्रिटिश सरकार सचमुच ऐसा करेगी, इसकी संभावना कम है। बहरहाल, यह सबक भारत सहित पूरी दुनिया के लिए है। राजकोषीय अनुशासन अच्छी बात है। लेकिन धनी लोगों पर अधिक टैक्स लगा कर भी राजकोषीय सेहत बेहतर रखी जा सकती है। कटौतियों का सारा बोझ गरीब लोग उठाएं, यह कतई उचित नहीं है।
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