सम्पादकीय

गृहणी के काम की कीमत

Gulabi
12 Jan 2021 4:37 PM GMT
गृहणी के काम की कीमत
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अभिनेता कमल हासन ने वादा किया है कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह गृहणियों के काम को मान्यता देगी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तमिलनाडु में राजनीति में आए अभिनेता कमल हासन ने वादा किया है कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह गृहणियों के काम को मान्यता देगी और इसके बदले उन्हें तनख्वाह देने का प्रावधान करेगी। इसी बीच पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में बीमा विवाद के एक मामले में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने फैसला दिया। उसमें जस्टिस रमना ने कहा कि घर संभालने वाले लोगों को जितना काम करना पड़ता है उसके लिए वो जिस मात्रा में समय और श्रम का योगदान करते हैं, वो कोई कम अहम नहीं है। जस्टिस रमन्ना ने कहा कि घर संभालने का काम अधिकतर महिलाएं ही करती हैं। एक गृहिणी अक्सर पूरे परिवार के लिए खाना बनाती है, परचून के सामान और घर की जरूरत के दूसरे सामान की खरीदारी करती है, घर की सफाई करती है और उसका रखरखाव करती है। घर की सजावट और मरम्मत भी करती है। बच्चों और बुजुर्गों की विशेष जरूरतों का ध्यान रखती है। बजट प्रबंधन करती है। और इसके अलावा और भी वह बहुत कुछ करती है।


उन्होंने यह भी कहा कि घर के काम करने वालों की कल्पित आय तय करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे उन महिलाओं के योगदान को पहचान मिलेगी, जो बड़ी संख्या में या तो अपनी मर्जी से या सामाजिक/सांस्कृतिक मानकों की वजह से ये काम करती हैं। मामला 2014 में हुए एक हादसे का था, जिसमें एक व्यक्ति और उसकी पत्नी की मौत हो गई थी। पति एक शिक्षक था, जबकि उनकी पत्नी गृहिणी थी और दोनों के दो बच्चे हैं। जिस बीमा कंपनी से उन्होंने बीमा करवाया था, उसे एक ट्रिब्यूनल ने बीमे के एवज में उनके बच्चों को 40.71 लाख रुपये देने का आदेश दिया था, लेकिन कंपनी ने इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे दी थी। हाई कोर्ट ने बीमे की रकम को घटा कर 22 लाख कर दिया था, लेकिन अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वो मृतकों के परिवार को 33.20 लाख रुपए दे और 2014 से नौ प्रतिशत ब्याज दर पर ब्याज भी दे। हर्जाने की इस रकम के आकलन में मृत महिला की बतौर गृहिणी कल्पित आय का सही हिसाब लगाने की एक बड़ी भूमिका रही। तो आखिरकार ये मुद्दा अब भारत में भी एजेंडे पर आ रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि इससे आगे चल कर महिलाओं के योगदान का समाज में सही आकलन हो सकेगा और उनके अधिकार उन्हें मिल सकेंगे।


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