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इन सब विसंगतियों के मद्देनजर नए समर्थन मूल्य को लेकर असंतोष स्वाभाविक है।
गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) के दिन गणेश स्थापना (ganesh isthapna) की परंपरा है. हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजा (ganesh puja) के साथ की जाती है. 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत कल यानि 10 सितंबर से हो रही है और 19 सितंबर को यह अनंत चौदस (anant chudas) के दिन समाप्त होगा. देशभर में गणेश महोत्सव काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान के साथ लंबोदर की पूजा की जाती है. भक्त भगवान गणेश के लिए व्रत रखते हैं. उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं. घर में उन्हें भोग लगाने के लिए उनकी प्रिय चीजें बनाई जाती हैं. जब तक घर पर बप्पा विराजमान रहते हैं लोग उनकी खूब सेवा करते हैं.
गणेश जी को विघ्नहर्ता (vighanharta) कहा जाता है. मान्यता है कि गणेश जी अपने साथ भक्तों के कष्ट हर के ले जाते हैं. साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. कल इस खुशी के मौके पर आप अपने सगे-संबंधियों को गणेश चतुर्थी के संदेश (ganesh chaturthi message ), मैसेज, व्हाट्स ऐप मैसेज और व्हाट्स ऐप स्टेटस लगाकर शुभकामना दे सकते हैं. उनकी मनोकामना पूर्ण होने की कामना कर सकते हैं. अपनों के साथ शेयर करें ये संदेश-
1-भगवान श्री गणेश की कृपा,
बनी रहे आप पर हर दम.
हर कार्य में सफलता मिले,
जीवन में न आये कोई गम।
Happy Ganesh Chaturdashi
2-आपका और खुशियों का,
जनम जनम का साथ हो।
आपकी तरक्की की,
हर किसी की ज़बान पर बात हो।
जब भी कोई मुश्किल आये,
गणेशा आप के साथ हों।
Happy Ganesh Chaturdashi
3-गणेश जी का रूप निराला हैं
चेहरा भी कितना भोला भाला हैं
जब भी आती है कोई मुसीबत
तो इन्होंने ही संभाला है
Happy Ganesh Chaturdashi
4-दिल से जो भी मांगोगे मिलेगा
ये गणेश जी का दरबार है,
देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को
अपने हर भक्त से प्यार है..।।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
5-गणेश की ज्योति से नूर मिलता है
सबके दिलो को सुरूर मिलता है
जो भी जाता हैं गणेश के द्वार
कुछ न कुछ उन्हें जरूर मिलता है
Happy Ganesh Chaturdashi
6-धरती पर बारिश की बूंदें बरसें
आप पर अपनों का प्यार बरसे
'गणेशजी' से बस यही दुआ है
आप खुशियों के लिए नहीं
खशियां आप के लिए तरसें
Happy Ganesh Chaturdashi
7-1, 2, 3, 4, गणपति की जय जयकार।
5, 6, 7, 8, गणपति है सबके साथ।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
8-सुख करता जय मोरया,
दुख हरता जय मोरया।
कृपा सिन्धु जय मोरया,
बुद्धि विधाता मोरया।
गणपति बप्पा मोरया,
मंगल मूर्ती मोरया।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
आमतौर पर हर साल बुआई सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार अनाज का समर्थन मूल्य घोषित करती है। इसका एक मकसद यह भी होता है कि इसके मद्देनजर किसान बुआई के लिए फसलों का रकबा बढ़ाने या घटाने का फैसला आसानी से कर सकें। न्यूनतम समर्थन मूल्य का अर्थ है कि किसान को फसल की कम से कम उतनी कीमत मिलेगी ही, जो सरकार ने तय की है। अभी खरीफ की फसल तैयार भी नहीं हुई है और सरकार ने रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। गेहूं की कीमत में सबसे कम यानी प्रति क्विंटल पर महज चालीस रुपए की बढ़ोतरी की है। यह पिछले बारह सालों में सबसे कम बढ़ोतरी है। मगर दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों पर सौ रुपए से लेकर चार सौ रुपए तक बढ़ोतरी की गई है। सरकारी बयान में कहा गया है कि नई दर से गेहूं पर लागत का सौ फीसद लाभ मिलेगा। सरकार ने अनुमान लगाया है कि गेहूं की उत्पादन लागत करीब एक हजार रुपए प्रति क्विंटल आएगी और नई दर से उसके लिए दो हजार पंद्रह रुपए मिलेंगे। इस तरह सरकार का इरादा अगले दो सालों में फसलों का लाभ डेढ़ गुना तक करने का है।
दलहनी, तिलहनी फसलों और मोटे अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक देने के पीछे सरकार की मंशा समझी जा सकती है। इस वक्त सरकार को सबसे अधिक मुश्किल खाद्य तेलों और दालों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने में पेश आ रही है। खाद्य तेल का आयात नहीं होता, इसलिए उसका इरादा है कि सरसों, सूरजमुखी आदि तिलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाई जाए, ताकि अगले वर्ष से खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर हुआ जा सके। इसी तरह दालों का उत्पादन बढ़ाने पर उसका जोर है। हालांकि भारत में कई दालों का उत्पादन जरूरत से ज्यादा होता है। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि जिन दालों का उत्पादन अधिक हुआ, उनकी कीमतों में भी संतोषजनक नियंत्रण नहीं हो पाया। मोटे अनाज यानी ज्वार, बाजरा, मक्का आदि के उत्पादन में भी काफी कमी देखी जा रही है, इसलिए शायद उनकी कीमतें बढ़ने से किसान इन्हें बोने को प्रोत्साहित हों। मगर नए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसान संतुष्ट नजर नहीं आ रहे।
किसानों की मांग रही है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों के दाम उनकी लागत का डेढ़ गुना किए जाएं। स्वामीनाथन आयोग ने लागत में केवल खाद, बीज, कीटनाशक, सिंचाई आदि पर आने वाले खर्च को नहीं, बल्कि किसान के श्रम को भी जोड़ा था। उस हिसाब से फसलों की कीमत कहीं अधिक बनती है। फिर किसानों की मांग यह भी है कि न्यूनम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए, क्योंकि उनका अनुभव है कि स्थानीय व्यापारी सरकार की तरफ से तय कीमतों पर फसल नहीं खरीदते, उससे काफी कम और मनमानी दर पर खरीदते हैं। केवल पच्च्चीस फीसद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिल पाता है। पिछले दिनों गन्ने की कीमत में महज पांच रुपए की बढ़ोतरी की गई। जबकि हकीकत यह है कि पिछले एक साल में ही डीजल, उर्वरक, कीटनाशक और बीज की कीमतों में डेढ़ गुना से अधिक बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में किसानों को मिलने वाली बिजली की दरें बहुत असमान हैं। मसलन उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा जैसे राज्यों की तुलना में कई गुना अधिक बिजली बिल चुकाना पड़ता है। इन सब विसंगतियों के मद्देनजर नए समर्थन मूल्य को लेकर असंतोष स्वाभाविक है।
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