- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- आंदोलन का सही...
जब देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है तब 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की चर्चा स्वाभाविक है। यह एक ऐसा आंदोलन था, जिसमें नेता जेलों में थे और जनता आजादी की लड़ाई लड़ रही थी। जनता अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए उद्यत होकर सतारा से बलिया तक और हजारीबाग से लाहौर तक सर्वत्र सीधी और निर्णायक लड़ाई लड़ रही थी। आज जब इस घटना के 80 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं तब उसका मूल्यांकन होना आवश्यक प्रतीत होता है। 1942 का आंदोलन गांधी जी के जीवन का सबसे निर्णायक और बड़ा अभियान था। कांग्रेस कार्यसमिति ने 14 जुलाई, 1942 के अपने वर्धा प्रस्ताव में इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी, नेतृत्व, नियंत्रण और आगे की दिशा गांधी जी के हवाले कर दी थी। इस प्रस्ताव और उसके बाद की घटनाओं पर इतिहास में बहुत चर्चा हुई है, लेकिन 1942 का यह प्रस्ताव कांग्रेस कार्यसमिति में किन परिस्थितियों में आया था, इस पर नहीं के बराबर चर्चा हुई है। इसीलिए उस पर विमर्श आवश्यक है।