सम्पादकीय

अभी गया नहीं है कोरोना

Gulabi Jagat
17 March 2022 6:12 AM GMT
अभी गया नहीं है कोरोना
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भारत में लोग आम जिंदगी शुरू कर चुके हैँ
By NI Editorial
हकीकत यह है कि कोरोना महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है। इस बात का ख्याल सबको रखना चाहिए। फिलहाल, इसकी सबसे तीखी मार वही देश झेल रहा है, जहां से इस महामारी की शुरुआत हुई थी। चीन और हांगकांग में संक्रमण के रोज नए मामले आने के रिकॉर्ड बन रहे हैँ।
भारत में लोग आम जिंदगी शुरू कर चुके हैँ। बल्कि अब आम तौर पर किसी के मन में कोरोना संक्रमण का भय भी नजर नहीं आता। मास्क और सेनेटाइजर का इस्तेमाल न्यूनतम हो चुका है। वैसे यह अच्छी बात है। लोगों का भरोसा देख कर बेहतर दिनों का भरोसा बनता है। लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है। इस बात का ख्याल सबको रखना चाहिए। फिलहाल, इसकी सबसे तीखी मार वही देश झेल रहा है, जहां से इस महामारी की शुरुआत हुई थी। चीन में संक्रमण के रोज नए मामले आने के रिकॉर्ड बन रहे हैँ। महामारी की शुरुआत में भी जितने लोग एक दिन में संक्रमित नहीं हो रहे थे, उतने अब हो रहे हैँ। खबरों के मुताबिक महामारी के इस नए दौर के लिए कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमीक्रोन दोनों वैरिएंट जिम्मेदार हैं। यहां यह याद रखना चाहिए कि चीन अब संभवतः अकेला देश बचा है, जहां जीरो कोविड की नीति अभी भी लागू है। यानी वहां संक्रमण के एक भी मामले को अस्वीकार्य माना जाता है। संक्रमण की सूचना मिलते ही सख्त कदम उठाए जाते हैँ। लेकिन उससे महामारी के नए दौर को आने से रोका नहीं जा सकता है। नतीजतन, कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है। शेनजेन समेत देशभर में 10 इलाकों में लोगों को घर पर ही रहने के आदेश दिए गए हैँ। यह प्रकोप हांगकांग में पहले ही अपना भीषण रूप दिखा चुका है।
हांगकांग में तो वायरस ने तबाही मचा रखी है। वो रोजाना बीसियों लोगों की मौत का कारण बन रहा है। चीन के मुख्य भूभाग में स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि और कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं। शेनजेन में अधिकारियों ने बताया है कि शहरी ग्रामीण इलाकों और फैक्ट्रियों में छोटे स्तर पर कई क्लस्टर पाए गए हैं। इससे सामुदायिक संचार के बड़े खतरे के संकेत मिलते हैं। पूर्वोत्तर में जिलिन प्रांत में लगातार दो दिनों तकएक हजार से ज्यादा मामले सामने आए। मार्च की शुरआत से इस प्रांत के कम से कम पांच शहरों में तालाबंदी लागू की जा चुकी है। तो सबक यह है कि इस महामारी को खत्म ना माना जाए। दुनिया के किसी भी हिस्से में ये मौजूद है, तो फिर यह कहीं पहुंच सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि लोग मास्क और सेनेटाइजर से अभी तौबा ना करेँ।
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