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भूपेंद्र सिंह| राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने यह कहकर समय रहते लोगों को आगाह किया कि कोरोना संक्रमण को गांवों तक पहुंचने से रोकना होगा। उनकी इस अपील पर न केवल ग्रामीण जनता, बल्कि संबंधित प्रशासन के लोगों को भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। यह सही है कि पिछले साल कोरोना संक्रमण की लहर को गांवों तक पहुंचने से रोक दिया गया था, लेकिन इस बार इसका खतरा इसलिए अधिक बढ़ गया है, क्योंकि एक तो संक्रमण की दूसरी लहर बहुत तेज है और दूसरे, बड़े शहरों से तमाम कामगार अपने गांव लौट चुके हैं या फिर लौट रहे हैं। चूंकि इनके जरिये ग्रामीण आबादी के बीच कोरोना आसानी से फैल सकता है, इसलिए उन्हेंं गांवों से बाहर स्कूलों, पंचायत भवनों आदि में क्वारंटाइन करने और उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने का काम तत्काल प्रभाव से होना चाहिए। ये दोनों काम प्राथमिकता के आधार पर सही तरह से हों, इसकी चिंता खुद गांव वालों को भी करनी होगी। कई गांवों ने इस मामले में अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है, लेकिन यह भी सही है कि देश के कुछ ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण सिर उठाता दिख रहा है। यह शुभ संकेत नहीं। हालांकि ग्रामीण इलाकों में आबादी का घनत्व कम है और वहां का रहन-सहन भी शहरों से अलग है, लेकिन यदि गांवों में कोरोना ने अपने पैर पसारे तो हालात संभालने मुश्किल होंगे।