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किरण चोपड़ा; जब कोरोना की लहर पूरे चरम पर थी और इसकी आहट से पहले ही लॉकडाउन से लेकर मास्क लगाने और सैनेटाइजर प्रयोग करने जैसे नियमों का लोगों ने पालन किया तो लगता था कि सब कुछ ठीक-ठाक रहेगा। भारत में पूरी दुनिया की तुलना में कोरोना घातक असर नहीं दिखा पाया। हालांकि लाखों लोगों ने अपनों को खोया। उन्हीं दिनों मैंने कई डिबेट्स में और अपनी लेखनी से सब लोगोंं को सावधान किया था कि हाथी कई बार निकल जाता है लेकिन जाते-जाते पूंछ बहुत तकलीफ देकर जाती है। तब हमने लोगों को सावधान रहने की अपील की थी कि वह कोरोना के नियम हल्के होने के बावजूद भी मास्क लगाकर रखें और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। कोरोना के इस हाथी के निकल जाने के बाद इस पूंछ ने एक बार फिर यानि चीनी कोरोना महामारी ने अमरीका, ब्राजील के बाद भारत को भी दहशत की चपेट में ले लिया है। घातक चीनी वैरिएंट के चार केस भारत में आ चुके हैं। लोग पहले से ही गला खराब और हल्के-फुल्के फ्लू से प्रभावित हैं कि अब भारत सरकार को ऑन दा रिकार्ड स्पष्ट करना पड़ा कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ इसलिए सावधान रहना होगा। मास्क लगाकर रखना और बूस्टर डोज लगवाना यह सलाह सरकार की ओर से दी गई है जिसका स्वागत करना चाहिए। इस मामले में पीएम की सक्रियता को सलाम करना होगा कि उन्होंने चीन में कोरोना की लहर बढ़ने के साथ ही खुद बैठक बुलाकर देशवासियों को सख्त संकेत दिया कि कोरोना अभी गया नहीं और सबको सावधान रहना होगा। यकीन है कि लोग उनकी पहले की तरह हर अपील का सम्मान करेंगे और कोरोना के नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे।मुझे सबसे बड़ी चिंता शिक्षा के स्तर पर है कि किस तरह स्कूली बच्चों का सारा सिस्टम पटरी से उतर गया था। बड़ी मुश्किल से नर्सरी से लेकर 12वीं तक के बच्चे और कालेज तक अपने रूटीन के सिस्टम में आ गये हैं। ऐसे में इस कोरोना महामारी के दोबारा से आने की आहट ने सचमुच दिल को झकझोर कर रख दिया है। काम-धंधे पहले से बैठ गए थे। बड़ी मुश्किल से सब कुछ पटरी पर आने लगा था लेकिन मैं एक आशावादी और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही हूं और सबको यही कहना चाहती हूं कि चिकित्सा से परहेज बेहतर है। सब की सुरक्षा के लिए हमें अगर मास्क लगाना पड़े तो कोई बुरी बात नहीं है। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क लगाना अच्छी बात है। सैनेटाइजर का प्रयोग नियमित जीवन में ही होना चाहिए। यह वैसे ही सफाई से जुड़ा मामला है।लोगों में दहशत इस बात को लेकर ज्यादा है कि 15 जनवरी के बाद डूबा तारा (मल मास जिसमें शादी जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते) खुल जायेगा अर्थात मांगलिक कार्यों की शुरूआत यानि कि शादी विवाह फिर से शुरू हो जायेंगे। कोरोना लौट के न आए सभी लोग इसके लिए प्रभु से कामना कर रहे हैं। हमारा मानना है कि नियमित रूप से नियमों का पालन करते रहें तो यह कोरोना कहीं नहीं आयेगा। हमारी सावधानी ही इस कोरोना को आगे बढ़ने से पहले ही खत्म कर देगी। सरकार ने अच्छा काम किया है कि नए नियम कानूनी रूप से घोषित नहीं किये बल्कि लोगों को अलर्ट रहने की अपील की है। लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा तबाही भारत में ही मचायी थी। कोरोना के नए नियमों को लेकर सरकार ने अच्छा कदम उठाया है और लोगों के विवेक पर छोड़ दिया है कि वह खुद सावधान रहें और कोरोना के हमले से पहले ही उपाय कर लें। उपाय का मतलब मास्क लगाएं और अगर बूस्टर डोज नहीं लगी तो उसे भी लगवाएं। संपादकीय :गरीबों को मुफ्त अनाजकोरोना गया नहीं, सावधानी जरूरी हैतालिबानी पिंजरे में अफगान महिलाएंनियन्त्रण रेखा पर स्थायित्व?कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआखुले समंदर में भारतीय कानूनभारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि आज भी हमारे यहां कोरोना के केस घट रहे हैं। भारत ने पूरी दुनिया के चालीस से ज्यादा देशों को वैक्सीन भिजवाई है। कुल मिलाकर पूरे देश में अगर चार मामले चीनी वैरिएंट के हैं तो हमें घबराने की जरूरत नहीं। आजकल सर्दी का मौसम चल रहा है। इस सर्दी के मौसम में जुकाम, बुखार और फ्लू जैसी बीमारियों को हम झेल चुके हैं और ठीक होकर अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन एक सतर्कता भरी बात यह है कि हर सूरत में बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर या फिर बाजारों में मास्क तो लगाना ही होगा। अगर हम यह कहते हैं कि अभी भी दिन में कुछ भी खाने-पीने से पहले या कोई भी काम करने के बाद अगर हाथ सेनेटाइज करते रहें तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हम कोरोना पर विजय प्राप्त कर चुके हैं। दुनिया भारत में उदाहरण देती रही है। हमारे यहां डेथ रेट दुनिया की तुलना में बहुत कम है तो इसकी वजह हमारी अपनी बढ़िया हैल्थ प्रणाली रही है। लोगों ने नियमों का पालन किया इस कारण हमें कोरोना से लड़ने में ताकत मिली। इसी ताकत के साथ पूरे देश को एक बार फिर से डटना होगा और जाते-जाते इस कोरोना का फन पूरी तरह से कुचल देना होगा। यह बात तो सही है कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ, हमें डरना नहीं है लेकिन कोरोना को डाराना है, इसी में हमारी जीत है। कुल मिलाकर कोरोना के खात्मे के लिए इलाज की बजाए सावधानी बहुत जरूरी है।