सम्पादकीय

Corona Effect : मल्टीप्लेक्स कहानी नहीं बनेंगे, इनका नया रूप मनोरंजन उद्योग की रीढ़ बनेगा

Rani Sahu
28 July 2021 7:28 AM GMT
Corona Effect : मल्टीप्लेक्स कहानी नहीं बनेंगे, इनका नया रूप मनोरंजन उद्योग की रीढ़ बनेगा
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दिल्ली में 26 जुलाई से सिनेमाहॉल्स (Cinema Halls) को खोल दिया जाएगा

संयम श्रीवास्तव | दिल्ली में 26 जुलाई से सिनेमाहॉल्स (Cinema Halls) को खोल दिया जाएगा. लेकिन इस कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने मल्टीप्लेक्स के उद्योग धंधे (Multiplex Industry) पर जिस तरह से अपना कहर बरपाया है उसने मल्टीप्लेक्स के मालिकों के साथ-साथ वहां काम करने वाले कर्मचारियों की भी कमर तोड़ के रख दी है. हालांकि अब सिनेमाहॉल्स खोलने के बाद भी दर्शक पहले की तरह ही थियेटर्स में जाकर फिल्में देखना पसंद करेंगे या नहीं यह एक बड़ा सवाल है. दरअसल जब सिनेमाहॉल्स बंद हुए और लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए तो सबसे ज्यादा जरूरत उनको जिस चीज की महसूस हुई, वह थी एंटरटेनमेंट (Entertainment) और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (OTT Platforms) ने इस जरूरत को अच्छे से समझा और दर्शकों को बखूबी कंटेंट उपलब्ध कराए.

इस वजह से अब लोगों को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मिलने वाले एंटरटेनमेंट की लत लग चुकी है. भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बीते कुछ वर्षों के आंकड़ों के अनुसार देखें तो बेहद सफल माने गए हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि यहां फिल्में देखना थियेटर्स के मुकाबले काफी सस्ता है और इसे आप घर में बैठकर अपने समय अनुसार जब चाहे जैसे चाहे देख सकते हैं. कोरोना महामारी की वजह से सिनेमाहॉल्स को कितना नुकसान हुआ है इसका अंदाजा आप देश की सबसे बड़ी फिल्म रिटेल कंपनी पीवीआर (PVR) की बैलेंस शीट देखकर लगा सकते हैं. मार्च 2020 में पीवीआर ने 10.1 करोड़ से अधिक के टिकट बेचे थे, जबकि 3,500 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की थी. इसमें परिचालन मुनाफा लगभग 600 करोड़ रुपए से अधिक का था. लेकिन इसके बाद पीवीआर की कमाई कम होकर सिर्फ 310 करोड़ रुपए रह गई जो मार्च के मुनाफे से लगभग 10 फ़ीसदी कम थी. मार्च 2020 के बाद से लगे लॉकडाउन की वजह से पीवीआर के 842 स्क्रीन बंद हो गए. जबकि उसके 6000 से अधिक कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा.
फिल्मों के कारोबार पर भी कोरोना का गहरा असर पड़ा

कोरोना महामारी ने तो ऐसे कई उद्योग धंधे चौपट किए. लेकिन फ़िल्म उद्योग पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा. साल 2019 में देश में फिल्मों का कारोबार लगभग 19 हज़ार 100 करोड़ रुपए का था जो 2020 में घटकर 7200 करोड़ रुपए का रह गया. यानि इस कमाई में लगभग 62 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई. देश के लगभग 15 सौ से अधिक सिनेमा स्क्रीन बंद हो गए.
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से सिर्फ यह सिनेमा स्क्रीन ही नहीं बंद हुए, बल्कि यहां काम कर रहे हजारों की तादाद में लोगों का रोजगार भी बंद हो गया. कोरोना महामारी के दौरान देश में आई बेरोजगारी की बाढ़ का कुछ अंश इस उद्योग से भी था. देश के और तमाम कारोबार तो धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे हैं लेकिन मल्टीप्लेक्स उद्योग अभी भी अधर में लटका हुआ है.
कब पटरी पर लौटेगा सिनेमा उद्योग
जानकारों का मानना है कि सिनेमा उद्योग कभी भी खत्म नहीं हो सकता. लोगों में फिल्मों को लेकर दिलचस्पी हमेशा बरकरार रहेगी. हालांकि ओटीटी प्लेटफॉर्म से इतनी ज्यादा कमाई नहीं हो सकती जितना कि सिनेमाघरों से होती है. इसलिए फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि जब तक सिनेमाहॉल्स नहीं खुलते तब तक पहले की तरह सिनेमा उद्योग कमाई नहीं कर पाएगा. हालांकि अमेरिका जैसे देशों में जब लॉकडाउन खुला और 'ब्लैक विडो' और 'फास्ट एंड फ्यूरियस' जैसी फिल्में रिलीज हुईं तो बॉक्स ऑफिस पर उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ कमाई की. फास्ट एंड फ्यूरियस ने तो अपने रिलीज के कुछ ही दिनों में 50 करोड़ डॉलर की कमाई कर ली थी. इसलिए भारतीय सिनेमा उद्योग को भी उम्मीद है कि आने वाले समय में 'केजीएफ 2', 'आरआरआर', 'राधेश्याम', सूर्यवंशी जैसी फ़िल्में जब रिलीज होंगी तब बॉक्स ऑफिस पर कमाल की कमाई करती हुई दिखाई देंगी. हालांकि इस बीच सिनेमाघरों में कुछ फिल्में रिलीज भी हुईं जिसमें 'मास्टर', 'वकील साब' जैसी फिल्में थीं जिन्हें रिकॉर्ड तोड़ ओपनिंग मिली थी. जो दिखाता है कि आने वाले समय में भारतीय सिनेमा फिर से पटरी पर लौटने को तैयार रहेगा.
बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्में फिर से मल्टीप्लेक्स को पटरी पर लाएंगी
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ओरमैक्स के शोध से पता चलता है कि आने वाले समय में 7 से 8 बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्में 700 से 1000 करोड़ रुपए का कारोबार का सकती हैं. इसके साथ ही बड़े प्रोडक्शन हाउसेज की लगभग 40 फिल्में ऐसी हैं जो रिलीज होने के लिए तैयार हैं इसलिए इसकी पूरी उम्मीद है कि जब स्थिति थोड़ी सामान्य हो जाएगी और पूरे देश में सिनेमा हॉल खोल दिए जाएंगे तब इन फिल्मों की रिलीज भारतीय सिनेमा उद्योग और भारतीय थियेटर्स के खस्ताहाल को फिर से पटरी पर लाने का काम करेगा.
खुद ओटीटी खोल सकते हैं मल्टीप्लेक्स
कोरोना में बंदी की वजह से मल्टीप्लेक्स को बहुत नुकसान हुआ और यह नुकसान आगे भी हो सकता है क्योंकि भारत में अभी कोरोना की तीसरी लहर आने की भी संभावना है, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि मल्टीप्लेक्स अब अपना खुद का ओटीटी प्लेटफॉर्म्स खोल सकते हैं. दरअसल मल्टीप्लेक्स के मालिकों को पता चल गया है कि अब दर्शकों को अपने घर पर आराम से बैठकर फिल्में देखने की आदत लग गई है, ऐसे में सिनेमाहॉल खुलने के बाद भी दर्शक उसी मात्रा में आएंगे इसे लेकर कुछ भी सही सही नहीं कहा जा सकता. इसलिए आने वाले समय में देश की कुछ बड़ी मल्टीप्लेक्स कंपनियां अपना खुद का ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च कर दें तो आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए.
देश के एंटरटेनमेंट स्पेस में बढ़ता अमेजन का दबदबा
जहां एक ओर देश में मल्टीप्लेक्स की स्थिति खराब हो रही है, वहीं अमेजन जैसी कंपनियां इस मौके का फायदा उठाकर देश के एंटरटेनमेंट उद्योग में अपना दबदबा कायम करना चाहती हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन इंडिया आइनॉक्स लेजर समेत कई फिल्म और मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन प्लेयर्स को एक्वायर कर सकती है. अमेजन ओटीटी के जरिए भारत के सिनेमा उद्योग में साल 2016 से अपनी पैठ बना रही है ऐसे में अब वह आइनॉक्स जैसी बड़ी फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को एक्वॉयर कर अपना दबदबा और बढ़ा लेगी.
काफी बड़े स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स का बढ़ सकता है प्रचलन
टीवी-विडियो जब सर्वसुलभ होने लगा और सिंगल स्क्रीन थियेटर बंद होने लगे तो लगा था कि सिनेमा उद्योग की कमर टूट जाएगी और बॉवीवुड इतिहास हो जाएगा. पर जहां एक सिंगल स्क्रीन बंद हुआ वहां 10 और 12 स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स खुल गए. टिकट दर भी दस गुना के करीब बढ़ गये. हो सकता है ऐसे ही किसी बदलाव की पृष्ठभूमि तैयार हो रही हो. बहुत संभावना है टिकट दर फिर दस गुना बढ़ जाएं और स्क्रीन की लंबाईृ-चौड़ाई भी उसी अनुपात में बढ़ जाए. जिस तरह इकॉनमी में लग्जरी कारों और लग्जरी फ्लेट्स की बिक्री बढ़ी है उसे देखते हुए बड़े स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स की डिमांड बढ़ जाए. और सिनेमा जाना एक बार फिर स्टेटस सिंबल बन जाए.


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