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सिंगापुर (Singapore) में बीते कुछ महीनों से भारतीयों के साथ लगातार नस्ली भेद के कई मामाले सामने आ रहे हैं
संयम श्रीवास्तव। सिंगापुर (Singapore) में बीते कुछ महीनों से भारतीयों के साथ लगातार नस्ली भेद के कई मामाले सामने आ रहे हैं. वहां कुछ मुठ्ठी भर लोग हैं जो सिंगापुर में फैले डबल म्युटेंट वायरस की वजह भारतीयों को मानते हैं. इनमें ज्यादातर लोग चीनी मूल के हैं जो भारतीयों पर लगातार नस्लीय टिप्पणी कर रहे हैं. भारतीयों की स्थिति इस वक्त सिंगापुर में ठीक नहीं है, उन्हें वहां टैक्सी में नहीं बिठाया जाता है. बस स्टैंडों पर 'इंडियन गो बैक होम' के नारे लिखे मिलते हैं. किसी पब्लिक ट्रांसपोट में जब कोई भारतीय किसी के पास वाली सीट पर बैठ जाता है तो दूसरे मूल के लोग वहां से अजीब बर्ताव करते हुए उठ कर चले जाते हैं.
मामला इतना ही होता तो समझ भी आता, अब भारतीयों के साथ सिंगापुर में नस्लीय हिंसा के मामले भी सामने आने लगे हैं. कुछ लोग डबल म्युटेंट वायरस को लेकर भारतीयों पर लगातार हमले कर रहे हैं उन्हें पब्लिकली नस्लीय गालियां दी जा रही हैं. ऐसा करने वाले ज्यादातार लोग चीन के हैं. लेकिन शायद इन चीनीयों को यह नहीं पता है कि कोरोना की असली जड़ भारतीय नहीं बल्कि चीनी हैं क्योंकि यह वायरस पूरी दुनिया में चीन के वुहान से ही फैला है.
पार्क में टहल रही महिला के साथ हिंसा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राइवेट ट्यूशन टीचर नीता अपने परिवार के साथ सिंगापुर में दशकों से रह रही हैं. वह हर रोज की तरह उस दिन भी सुबह तकरीबन 8:30 बजे मॉर्निंग वॉक करने स्टेडियम गईं हुई थीं. स्टेडियम में जब वह व्यायाम कर रही थीं तभी उनका मास्क उनके नाक से नीचे चला गया, जिसे देख एक चीनी व्यक्ति इतना ज्यादा गुस्से में आ गया कि वह नीता पर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा और उन्हें नस्लीय गालियां देने लगा. जब नीता ने कहा कि व्यायाम करते वक्त मास्क नीचे किया जा सकता है, यह नियम है. तो इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो गया और उसने नीता एक ज़ोर की लात मारी, जिससे वह ज़मीन पर गिर गईं और उनके हाथों में चोट लग गई. घर आकर जब उन्होंने पूरी बात अपने पति और बच्चों को बताई तब उन लोगों ने पुलिस में जा कर कम्पलेंट दर्ज कराई.
सोशलमीडिया पर अभद्र टिप्पणी
ऐसे नस्लभेदी मामलों की शुरूआत सोशल मीडिया के माध्यम से ही हुई है. कुछ हफ्ते पहले सिंगापुर के एक ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट किया गया, जिसमें कहा गया कि सिंगापुर में कोरोना के फैलने का कारण हिंदुस्तानी और विदेशी हैं जो सिंगापुर के मूल निवासी नहीं हैं. उसने अपने ट्वीट में आगे कहा कि इनके पास नहीं बैठना चाहिए. यह ट्वीट @sharonliew86 नामक ट्वीटर हैंडल से किया गया था. जिस पर एक महिला शैरॉन लीयु का नाम था. लेकिन जब पुलिस ने इस ट्वीट की जांच की तो पता चला की यह फेक हैं और इसे एक सिंगापुर का ही आदमी चला रहा था. जिस पर तुरंत एक्शन लिया गया है.
एक चीनी व्यक्ति गिरफ्तार
यह घटना 11 मई की है, जब एक भारतीय परिवार पूर्वी सिंगापुर में घूम रहा था तभी वहां एक 30 वर्षीय चीनी व्यक्ति पहुंचा और उसने उन पर नस्लीय टिप्पणियां करना शुरू कर दिया. वह लगातार उस भारतीय परिवार पर चिल्लाता रहा और उन्हें कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहराता रहा. उसने कहा कि उन्हें यहां से अपने देश वापस जाना होगा और वह यहां वायरस फैला रहे हैं. यह सब वाकया वहां लगे एक कैमरे में कैद हो गया, जिसके बाद सिंगापुर पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया.
सिंगापुर की सरकार भी परेशान है
सिंगापुर के गृहमंत्री के. षणमुगम ने इस मुद्दे को लेकर सिंगापुर की संसद में कहा कि देश में एक छोटा वर्ग है जो प्रवासी भारतीयों के खिलाफ नस्लवाद का पौधा लगा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री ली ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर निराश और चिंतित हैं, उन्होंने कहा कि वह परेशान हैं कि नस्लवादी हमला सिंगापुर में हो रहा है. सिंगापुर में नस्लवाद के खिलाफ 1960 के समय में ही कड़े कानून बन गए थे, जिसके बाद देश में ऐसी घटनाएं घटना कम हो गई थीं.
भारत से आने वाले लोगों के लिए क्वारेंटाइन का समय बढ़ाया गया
सिंगापुर में इस वक्त कोरोना के मामले सौ के पार हैं, जबकि एक हफ्ते पहले तक यहां सिर्फ 43 मामले थे. सिंगापुर में बढ़ रहे मामलों के लिए डबल म्युटेंट को जिम्मेदार माना जा रहा है. भारत में भी तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों के पीछे इसी वैरिएंट को जिम्मेदार बताया गया है. यही वजह है कि सिंगापुर में जहां अन्य देशों से आने वाले लोगों के लिए क्वारेंटाइन का समय 14 दिन बनाया गया है, वहीं भारत और ज्यादा संक्रमित देशों से आने वाले लोगों के लिए क्वारेंटाइन का समय 21 दिन कर दिया गया है.
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