सम्पादकीय

कोरोनाः चीन की जिद

Subhi
12 April 2022 1:45 AM GMT
कोरोनाः चीन की जिद
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कोरोना की स्थिति तो दुनिया के कई देशों में गंभीर बनी हुई है, लेकिन चीन से आ रही खबरें विशेष चिंताजनक हैं। खास तौर पर चीन के एक बड़े व्यावसायिक केंद्र शंघाई में लोग जिस तरह के हालात से जूझ रहे हैं

नवभारत टाइम्स: कोरोना की स्थिति तो दुनिया के कई देशों में गंभीर बनी हुई है, लेकिन चीन से आ रही खबरें विशेष चिंताजनक हैं। खास तौर पर चीन के एक बड़े व्यावसायिक केंद्र शंघाई में लोग जिस तरह के हालात से जूझ रहे हैं, वे महामारी से अधिक उससे निपटने के अंदाज पर सवाल खड़े करते हैं। शंघाई में पिछले महीने संक्रमण में तेजी आने के बाद कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़े सारे प्रावधान पूरी कड़ाई से लागू कर दिए गए। पिछले करीब 22 दिनों के सख्त लॉकडाउन के बावजूद नए केसों की संख्या काबू में आती नहीं दिख रही। शनिवार को वहां 23,000 और रविवार को 25,000 कोविड के केस मिले। ढाई करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस शहर में संक्रमण की यह स्थिति बहुत खराब नहीं कही जाएगी। भारत और दुनिया के कई देश इससे गंभीर परिस्थितियों से निपट चुके हैं। लेकिन चीन 'जीरो कोविड नीति' से पीछे हटने को तैयार नहीं। इस नीति के तहत लॉकडाउन और क्वारंटीन के सख्त प्रावधानों की वजह से शंघाई में लोगों के घर के अंदर भूख से मरने की नौबत आ गई है क्योंकि उन्हें खाने के सामान घर पर आसानी से नहीं मिल रहे हैं।

हॉस्पिटल्स में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। इसलिए मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं हो पा रही। यह स्थिति तब है, जब इस बार कोरोना के ज्यादातर मामले ओमीक्रॉन वेरिएंट के बताए जा रहे हैं, जिनमें मरीजों की मौत काफी कम देखी जाती है। यहां हम दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले चीन में कोरोना से निपटने की नीति में एक बुनियादी अंतर देख सकते हैं। बाकी देश अब कोरोना को एक हकीकत मानकर उसके साथ रहना सीखने की कोशिश कर रहे हैं। इसके विपरीत चीन पूरी तरह से कोविड पर काबू पाने की नीति पर चल रहा है। शुरू में उसे इसका फायदा भी मिला था। कोरोना की शुरुआती लहर पर चीन ने बहुत जल्द काबू पा लिया था। न्यूजीलैंड जैसे देशों ने भी पहले पहल ऐसी ही नीति अपनाई थी। बाद में इसके आर्थिक दुष्प्रभावों को देखते हुए उन देशों ने इस नीति पर चलना छोड़ दिया। चीन अभी तक जीरो कोविड की नीति पर चल रहा है। वह इसे अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले बेहतर बताता आया है, जहां चीन की तुलना में महामारी से कहीं अधिक मौतें हुई हैं। लेकिन चीन की इस नीति से जहां नागरिकों की जिंदगी प्रभावित हो रही है, वहीं अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। विश्व बैंक 2022 में चीन की अनुमानित आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर पांच फीसदी कर चुका है। पिछले साल यह 8.1 फीसदी थी। चीन के सख्त लॉकडाउन से ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी बुरा असर हुआ है। इससे खासतौर पर विकसित देशों में महंगाई बढ़ रही है। अच्छा हो, अगर चीन भी बाकी दुनिया की तरह कोविड के साथ जीना सीख ले।


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