सम्पादकीय

नकल कसने की पहल

Gulabi
13 Nov 2020 3:57 PM GMT
नकल कसने की पहल
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वर्तमान भारत सरकार की यही पहचान बनी है कि वह प्रतिबंध लगाने में अव्वल है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वर्तमान भारत सरकार की यही पहचान बनी है कि वह प्रतिबंध लगाने में अव्वल है। इसीलिए जब कभी वह संचार और सूचना के माध्यमों के बारे में कोई नए नियम बनाती है, तो अंदेशे खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही फिर हुआ है। भारत सरकार ने इंटरनेट पर समाचार और मनोरंजन प्रसारित करने वाली सेवाओं पर अपना नियंत्रण बनाने की पहल की है, तो सवाल उठा है कि क्या इससे इंटरनेट पर सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा? इंटरनेट पर समाचार और मनोरंजन प्रसारित करने वाली सेवाओं पर निगरानी के लिए कैबिनेट सचिवालय ने सरकारी नियमों में बदलाव किए हैं। राष्ट्रपति ने इसे अपनी अनुमति भी दी है। समाचार वेबसाइटें, और मनोरंजन के कार्यक्रम प्रसारित करने वाली नेटफ्लिक्स जैसी सेवाओं के लिए अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करेगा। ये निर्देश वेबसाइटों को मानने पड़ेंगे। इस बदलाव से केंद्र सरकार ने एक साथ दो बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण करने की शुरुआत कर दी है। भारत में इंटरनेट पर समाचार/करंट अफेयर्स और मनोरंजन दोनों पर ही केंद्रित खास वेबसाइटें हैं। ऐप तुलनात्मक रूप से नए हैं। इन्हें भारत में शुरू हुए अभी एक दशक भी नहीं हुआ है। भारत में सिनेमा घरों में दिखाई जाने वाली फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड, टेलीविजन के लिए ट्राई और सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अखबारों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी नियामक संस्थाएं हैं। लेकिन अभी तक सीधे तौर पर इंटरनेट पर आधारित इन क्षेत्रों के लिए कोई नियामक नहीं था।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इंटरनेट से जुड़े विषयों को देखता है, लेकिन अभी तक मंत्रालय के पास वेबसाइटों पर डाली जाने वाली सामग्री के मानक निर्धारित करनी की कोई विशेष शक्तियां नहीं थीं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय अब ऐसे मानक बनाने की शुरुआत करता है, तो इसका इन क्षेत्रों पर दूरगामी असर होगा। ये आम धारणा रही है कि इंटरनेट आधारित ये दोनों ही क्षेत्र सरकार की आंखों में खटकते हैं। बीते कुछ सालों में न्यूज और करंट अफेयर्स की वेबसाइटों पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में सरकार की कमियों पर ज्यादा चर्चा होती देखी गई है। कई वेबसाइटें मुखर रूप से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की कमियां उजागर करती रही हैं। दूसरी तरफ नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, हॉटस्टार, जीफाईव, एमएक्सप्लेयर जैसी सेवाएं बीते कुछ सालों से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित कर रही हैं, जिन्हें कई लोग अश्लील मानते रहे हैं। अपने सरकार ने इनकी नकेल कसने की पहल कर दी है।

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