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Written by जनसत्ता: उत्तर प्रदेश के के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शपथ लेते ही हरकत में आ गए हैं। सबसे पहले वे अपने चुनावी वादों को निभाने की राह पर हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि सौ दिनों में हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियां देंगे। मगर परीक्षा की सुरक्षा का क्या? यह ऐलान ऐसे वक्त हुआ, जब यूपी बोर्ड का पर्चा लीक हुआ है।
उत्तर प्रदेश के इतिहास में बहुत कम ऐसी परीक्षाएं रही होंगी, जिन पर कोई सवाल न उठा हो। चाहे वह बोर्ड की परीक्षा हो या फिर कोई प्रतियोगी परीक्षा। भर्ती में विलंब का तो क्या ही कहना। पांच से दस साल तक नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाते हैं।
पर्चा लीक होना दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, यह परीक्षार्थियों की उम्मीद पर पानी फेर देता है। फिर ऐसे युवा भटक जाते और आपराधिक गतिविधियों में संलग्न पाए जाते हैं। पर्चा लीक होने के बाद किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई न के बराबर ही होती है। सवाल है कि कैसे पेपर लीक हो जाता है, जो कि शासन और जिला प्रशासन की कड़ी निगरानी में रखा जाता है। इसके लिए जरूरी है कि जिम्मेदारी तय हो, वरना आने वाले समय में एक विकराल परेशानी का रूप ले लेगी, जो युवाओं के भविष्य के साथ निरंतर खिलवाड़ करेगी।